महाराष्ट्र के अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की बेटी की ओर से कहा गया कि सीबीआई ने समुचित ढंग से मामले की जांच नहीं की और अब भी कई ख़ामियां हैं, जिनकी जांच किया जाना बाकी है. दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे.
पुणे के हडपसर स्थित उन्नति नगर मस्जिद के बाहर 2 जून 2014 को एक 24 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ मोहसिन शेख़ की उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह नमाज़ पढ़कर लौट रहे थे. सभी 21 आरोपी हिंदू राष्ट्र सेना नामक एक कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठन का हिस्सा थे.
शिवसेना (यूबीटी) और प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) ने महाराष्ट्र के कई शहरों में निकाय चुनाव से पहले गठबंधन का ऐलान किया. संयुक्त प्रेसवार्ता में उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट हुए हैं कि लोकतंत्र बरक़रार रहे.
एक जनवरी, 2018 को पुणे के बाहरी इलाके भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा की जांच के लिए यह आयोग गठित किया गया था, जिसे अब तक कई विस्तार मिल चुके हैं. दो सदस्यीय जांच आयोग 31 दिसंबर, 2022 तक वैध था. अब आयोग को अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए 31 मार्च, 2023 तक का समय दिया गया है.
पुणे के यरवदा केंद्रीय कारागर के तीन विचाराधीन क़ैदियों की 31 दिसंबर को एक अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई. पुलिस ने मौतों को प्राकृतिक बताया है, जबकि मृत क़ैदियों के परिजनों ने जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि मौतें जेल वॉर्डन द्वारा मारपीट किए जाने के बाद हुई हैं.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभय एस. ओका ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में प्रति 10 लाख लोगों पर 50 न्यायाधीशों की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में यह आंकड़ा प्रति दस लाख लोगों पर केवल 21 का है, जिससे अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है.
2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपी सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने इस आधार पर आरोप मुक्त करने का अनुरोध किया था कि उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश पर हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए काम करने वाले संगठन ‘अभिनव भारत’ की बैठकों में हिस्सा लिया, जिसमें मालेगांव धमाके की साज़िश रची गई थी.
महाराष्ट्र के सरकारी कॉलेजों के रेज़िडेंट डॉक्टरों की मांगों में छात्रावासों की गुणवत्ता में सुधार करना, 7वें वेतन आयोग के अनुसार डीए, कोविड सेवा बकाया का भुगतान और सहायक तथा एसोसिएट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरना शामिल है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान न देकर इमरजेंसी सेवाओं को बंद करने पर विचार करने के लिए उन्हें मजबूर कर रही है.
राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, उन्हें मिली कुल 30,957 शिकायतों में से 9,710 गरिमा से जीने के अधिकार से संबंधित थीं, इसके बाद 6,970 घरेलू हिंसा और 4,600 शिकायतें दहेज उत्पीड़न से संबंधित थीं. आयोग को मिली लगभग 54.5 प्रतिशत शिकायतें उत्तर प्रदेश से आई थीं.
भीमा-कोरेगांव और एल्गार परिषद मामले में कुछ आरोपियों की पैरवी कर रहे वकील ने कहा है कि अदालत ने मई 2022 में आरोपियों को उनके ख़िलाफ़ जुटाए गए सबूतों की सभी क्लोन कॉपी प्रदान करने का निर्देश एनआईए को दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी केवल 40 फीसदी कॉपी ही साझा की गई हैं.
महाराष्ट्र के शिक्षामंत्री दीपक केसरकर ने विधान परिषद में कहा कि प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा और बाद में अंतिम निर्णय के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. अहमदनगर का नाम 15वीं सदी के शासक अहमद निज़ाम शाह प्रथम के नाम पर पड़ा है.
महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले में स्थित बारसु गांव में एक तेल रिफाइनरी परियोजना प्रस्तावित है, लेकिन यहां 20 हज़ार साल पुराने शैल चित्र मौजूद हैं, जिन्हें राज्य पुरातत्व विभाग एवं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारकों के रूप में चिह्नित किया गया है. विशेषज्ञ रिफाइनरी से इन्हें नुकसान पहुंचने को लेकर चिंतित हैं.
लड़कियां अपनी मर्ज़ी से जीना चाहती हैं. अपनी मर्ज़ी से रिश्ते बनाना चाहती हैं. इसके लिए उन्हें भागना न पड़े अपने लोगों से, ऐसा समाज बनाने की ज़रूरत है. जब तक वह न बने, तब तक इन औरतों को अगर बचाया जाना है तो उनके परिवारों से, बाबू बजरंगी जैसे गुंडों से और बजरंग दल जैसे हिंसक संगठनों से. लेकिन अब इस सूची में जोड़ना पड़ेगा कि उन्हें राज्य से भी बचाने की ज़रूरत है.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि नए लोकायुक्त क़ानून के मसौदा को मंत्रिमंडल ने मंज़ूरी दे दी है और इसे विधानमंडल में पेश किया जाएगा. पहली बार मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को लोकायुक्त के दायरे में लाया गया है.
महाराष्ट्र सरकार ने अंतरजातीय और अंतरधार्मिक शादी करने वाले दंपति और इस तरह के विवाह के बाद परिवार से अलग हुई महिलाओं व उनके परिवार के बारे में जानकारी जुटाने के लिए एक समिति बनाई है. एनसीपी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सरकार को लोगों के निजी जीवन की जासूसी करने का कोई हक़ नहीं है.