Mahatma Gandhi

गांधी के पास डिग्री न होने के बयान पर तुषार गांधी बोले- जाहिलों को राज्यपाल बनाएंगे तो यही होगा

बीते दिनों एक कार्यक्रम के दौरान जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा था कि यह भ्रांति है कि गांधी जी के पास कानून की डिग्री थी. क्या आप जानते हैं कि उनके पास एक भी विश्वविद्यालय की डिग्री नहीं थी. उनकी एकमात्र योग्यता हाई स्कूल डिप्लोमा थी.

हिंदू महासभा ने नोटों पर गांधी की जगह सावरकर की तस्वीर लगाने की मांग की

अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने भारत सरकार को इस संबंध में एक पत्र लिखा है. इसके अलावा संगठन ने संसद भवन की ओर जाने वाली एक सड़क का नाम भी सावरकर के पर करने की मांग की है.

कांग्रेस का पीएम मोदी पर पलटवार- भारत में कौन नाना के उपनाम का उपयोग अपने नाम के साथ करता है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में एक भाषण में पूछा था कि नेहरू उपनाम का उपयोग करने में गांधी परिवार को शर्म क्यों आती है? उनके इस बयान की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा कि अगर उन्हें भारत की संस्कृति की इतनी बुनियादी समझ भी नहीं है तो इस देश को भगवान ही बचा सकता है.

क्या आरएसएस किसी दलित स्वयंसेवक को सरसंघचालक बनाएगा?

आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बीते दिनों कहा था कि ईश्वर की दृष्टि में हर कोई समान है और उसके सामने कोई जाति या संप्रदाय नहीं है. यह सब पंडितों ने बनाया, जो ग़लत है.

बोस शर्मिंदा होते कि उनका इस्तेमाल गांधी, नेहरू को कमतर दिखाने के लिए हो रहा है: रामचंद्र गुहा

‘इंडिया आफ्टर गांधी’ के तीसरे संस्करण के विमोचन के अवसर पर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा कि उन्हें हैरानी है कि भाजपा साथ मिलकर काम करने वाले महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल को कैसे एक-दूसरे का प्रतिद्वंद्वी दर्शाने में कामयाब रही है.

‘जिस बर्बर ने किया तुम्हारा ख़ून पिता… वह नहीं मूर्ख या पागल, वह प्रहरी है स्थिर-स्वार्थों का’

गांधी की हत्या पर नागार्जुन की लिखी कविता ‘तर्पण’ में गोडसे को जिन्होंने तैयार किया था, वे कवि की निगाह से छिप नहीं सके. गोडसे अकेला न था. वह उन स्वार्थों का प्रहरी था जिन्हें गांधी की राजनीति से ख़तरा था. वे कौन-से स्थिर स्वार्थ थे जो गांधी को रास्ते से हटाना चाहते थे?

गांधी को एक व्यक्ति ने नहीं, एक विचारधारा ने मारा था…

पुस्तक समीक्षा: गांधी के विचारों से प्रतिक्रियावादी पीछा नहीं छुड़ा सकते इसलिए गांधी पर हमले जारी रहेंगे. ऐसे में ‘उसने गांधी को क्यों मारा’ की शक्ल में उनकी हत्या के इतिहास को उसके पूरे यथार्थ से बचाए रखना आने वाली पीढ़ियों की चेतना को कुंद किए जाने के ख़िलाफ़ एक मुनासिब कार्रवाई है.

क्या गांधी की हत्या में आरएसएस की भूमिका थी?

गांधीजी की हत्या में आरएसएस का हाथ होने के मामले को अदालती कार्यवाही पर छोड़ना उचित है. लेकिन इतिहास लेखन उनकी हत्या के पीछे छुपे विचार को पकड़ने में दिलचस्पी रखता है.

‘यह गांधी कौन था?’ ‘वही, जिसे गोडसे ने मारा था’

गांधी को लिखे पत्र में हरिशंकर परसाई कहते हैं, ‘गोडसे की जय-जयकार होगी, तब यह तो बताना ही पड़ेगा कि उसने कौन-सा महान कर्म किया था. बताया जाएगा कि उस वीर ने गांधी को मार डाला था. तो आप गोडसे के बहाने याद किए जाएंगे. अभी तक गोडसे को आपके बहाने याद किया जाता था. एक महान पुरुष के हाथों मरने का कितना फायदा मिलेगा आपको.’

गांधी की ज़रूरत

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: गांधी-विचार अब तक, सारे हमलों और लांछनों-अपमानों के बावजूद, मौजूद है, प्रेरक हैं और उसका हमारे समय के लिए पुराविष्कार संभव है. भारत में अपार साधनों से अनेक दुष्प्रवृत्तियां पोसी जा रही हैं, गांधी उनका स्थायी और मजबूत प्रतिरोध हैं.

देश में असहिष्णुता लंबे समय तक नहीं रहेगी, लोगों को मिलकर काम करना होगा: अमर्त्य सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कोलकाता में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोग अगर सहमत नहीं हैं या दूसरों की बात नहीं मानते हैं तो उन्हें पीटा जा रहा है. लोगों को मिलकर काम करना होगा. मतभेद दूर किए जाने चाहिए. हमें अपने बीच की दूरियों को कम करने की ज़रूरत है.

सावरकर पर हमारी चर्चाओं को अतीत में अटके न रहकर वर्तमान में आगे बढ़ना होगा

‘माफ़ीवीर’ कहकर सावरकर की खिल्ली उड़ाने की जगह सावरकरवाद के आशय पर बात करना हमारे लिए आवश्यक है. अगर वह कामयाब हुआ तो हम सब चुनाव के ज़रिये राजा चुनते रहेंगे और आज्ञाकारी प्रजा की तरह उसका हर आदेश मानना होगा.

महाराष्ट्र: सावरकर के ख़िलाफ़ टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी पर मानहानि का केस दर्ज

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के अकोला ज़िले में हुए एक संवाददाता सम्मेलन में सावरकर की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने ब्रिटिश शासकों की मदद की और दया याचिका लिखी थी. इस तरह उन्होंने महात्मा गांधी, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अन्य नेताओं के साथ विश्वासघात किया था.

राज्यपाल को गुजरात विद्यापीठ का चांसलर बनाने के ख़िलाफ़ नौ ट्रस्टी बोर्ड सदस्यों का इस्तीफ़ा

महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ के चांसलर के तौर पर आरएसएस की पृष्ठभूमि से आने वाले राज्यपाल आचार्य देवव्रत को नियुक्त किया गया था. विद्यापीठ के ट्रस्टी बोर्ड के नौ सदस्यों ने इस नियुक्ति में अनुचित जल्दबाज़ी किए जाने और राजनीतिक दबाव का आरोप लगाते हुए इस्तीफ़ा दे दिया है.

बिखराव के बीज बोते हुए सद्भाव का खेल खेलते रहने में संघ को महारत हासिल है

संघ की स्वतंत्रतापूर्व भूमिकाओं की याद दिलाते रहना पर्याप्त नहीं है- उसके उन कृत्यों की पोल खोलना भी ज़रूरी है, जो उसने तथाकथित प्राचीन हिंदू गौरव के नाम पर आज़ादी के साझा संघर्ष से अर्जित और संविधान द्वारा अंगीकृत समता, बहुलता व बंधुत्व के मूल्यों को अपने कुटिल मंसूबे से बदलने के लिए बीते 75 वर्षों में किए हैं.