क्या गांधी नस्लवादी थे?

उम्र के दूसरे दशक में गांधी निस्संदेह एक नस्लवादी थे. वे सभ्यताओं के पदानुक्रम यानी ऊंच-नीच में यक़ीन करते थे, जिसमें यूरोपीय शीर्ष पर थे, भारतीय उनके नीचे और अफ्रीकी सबसे निचले स्थान पर. लेकिन उम्र के तीसरे दशक तक पहुंचते-पहुंचते उनकी टिप्पणियों में अफ्रीकियों के भारतीयों से हीन होने का भाव ख़त्म होता गया.

नस्लभेदी होने का आरोप लगाकर घाना विश्वविद्यालय में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा हटाई गई

अफ्रीकी देश घाना की राजधानी अक्रा स्थित विश्वविद्यालय में दो साल पहले महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाई गई थी, जिसके बाद प्रतिमा हटाने को लेकर प्रदर्शन शुरू हो गए थे.

‘गांधी की मृत्यु’ को गांधी के जन्म के उत्सवों के बीच पढ़ा जाना चाहिए

नेमेथ लास्लो की अचूक नैतिकता गांधी के संदेश के मर्म को पकड़ लेती है, 'सत्याग्रह-सत्य में निष्ठा-का अर्थ है राजनीति का संचालन स्वार्थ या हित साधन से नहीं, बल्कि सत्य से प्रेम के द्वारा हो.'

जावड़ेकर की अपील, विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में भारतीय पोशाक पहनें छात्र-छात्राएं

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि नरेंद्र मोदी की पहल से पिछले चार साल में खादी की बिक्री तीन-चार गुना बढ़ गई है और खादी से लाखों नए रोज़गार भी पैदा हुए.

केंद्र सरकार ने गांधीजी को ‘वरिष्ठ स्वच्छता निरीक्षक’ बना दिया है: इतिहासकार इरफ़ान हबीब

इतिहासकार इरफ़ान हबीब ने महात्मा गांधी पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि मोदी सरकार ने एक राष्ट्रपिता के रूप में गांधी की विरासत को भुलाते हुए उनके क़द को स्वच्छ भारत मिशन तक सीमित कर दिया है.

‘ज़बान वो ख़त्म होती है जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी से न निकली हो’

वीडियो: उर्दू को अवाम तक पहुंचाने में देवनागरी और हिंदी की भूमिका, हिंदी में नुक़्ते के चलन और उर्दू के भविष्य पर विनोद दुआ से द वायर उर्दू के फ़ैयाज़ अहमद वजीह की बातचीत.

‘आपातकाल’ और ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ इंदिरा गांधी की दो गंभीर गलतियां थीं: नटवर सिंह

अपनी नई किताब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नटवर सिंह ने लिखा है कि अक्सर इंदिरा गांधी को गंभीर और क्रूर बताया जाता है. कभी-कभार ही यह कहा गया कि वह सुंदर, गरिमामयी और शानदार इंसान के साथ एक विचारशील मानवतावादी एवं अध्ययन करने वाली महिला थीं.

गांधी-बिड़ला के रिश्ते से तुलना के पहले मोदी को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए

क्या गांधी जीडी बिड़ला के किसी खनन प्रोजेक्ट के चलते लोगों को हटाने के लिए सरकारी तंत्र द्वारा की जा रही हिंसा का समर्थन करते? गांधी-बिड़ला के रिश्ते को किसी जवाबी हमले की तरह इस्तेमाल करने के बजाय प्रधानमंत्री को इस पर गहराई से सोचने की ज़रूरत है.

प्रेमचंद का ‘सूरदास’ आज भी अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है

1925 में आए प्रेमचंद के उपन्यास रंगभूमि में किसान सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के खिलाफ़ खड़े हो जाते हैं. जो बात रंगभूमि में सूरदास ने कहने की कोशिश की थी, वही आज जब कोई किसान कह रहा है तो उसे निशाना साधकर गोली मारी जा रही है.

रेलवे का प्रस्ताव, गांधी जयंती पर ट्रेनों में न परोसा जाए मांसाहारी खाना

रेलवे बोर्ड ने एक प्रस्ताव पेश किया है जिसमें दो अक्टूबर 2018, 2019 और 2020 को रेलवे परिसरों में यात्रियों को मांसाहार नहीं परोसे जाने की बात कही है.

उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान: भारतीय संगीत का संत कबीर

पुण्यतिथि विशेष: उस्ताद ऐसे बनारसी थे जो गंगा में वज़ू करके नमाज़ पढ़ते थे और सरस्वती को याद कर शहनाई की तान छेड़ते थे. इस्लाम में संगीत के हराम होने के सवाल पर हंसकर कहते थे, 'क्या हुआ इस्लाम में संगीत की मनाही है, क़ुरान की शुरुआत तो 'बिस्मिल्लाह' से ही होती है.'

गुजरात दंगों के 16 साल: उम्मीदों के निशां बाकी हैं

2002 के गुजरात दंगों में अपनी ज़िंदगी बिखरते देख चुके प्रोफेसर जेएस बंदूकवाला मानते हैं कि भले ही देश भगवाकरण की ओर बढ़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद अच्छे भविष्य की उम्मीद फीकी नहीं हुई है.

क्या गांधीजी वाकई कांग्रेस को भंग करना चाहते थे?

ऐसा लगता है कि यह दावा बार-बार इसलिए किया जाता है ताकि यह सिद्ध किया जा सके कि अपने अंतिम दिनों में गांधीजी कांग्रेस और उसके नेताओं से दूर हो गए थे.

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