असली देशद्रोही वे हैं जो सत्ता का दुरुपयोग कर भारतीयों को आपस में बांटते हैं: सोनिया गांधी

संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक लेख में कहा कि सत्तारूढ़ दल संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग कर रहा है, उन्हें नष्ट कर रहा है और स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय की इनकी नींव को कमज़ोर कर रहा है.

इतिहास को लेकर सांप्रदायिक दृष्टिकोण प्रगतिशील समाज के विचार के विपरीत: हिस्ट्री कांग्रेस

इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस ने एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से मुग़ल इतिहास, महात्मा गांधी से संबंधित सामग्री समेत कई अन्य अंश हटाए जाने को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि जो शिक्षाविद तार्किक वैज्ञानिक ज्ञान का महत्व समझते हैं, उन्हें यह ग़लत और अस्वीकार्य लगेगा.

250 के क़रीब इतिहासकारों ने एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यपुस्तकों से सामग्री हटाने की आलोचना की

एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से मुग़ल इतिहास, महात्मा गांधी से संबंधित सामग्री समेत कई अन्य अंश हटाए जाने के विरोध में जारी बयान में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने कहा है कि चुनिंदा तरह से सामग्री हटाना शैक्षणिक सरोकारों पर विभाजनकारी राजनीति को तरजीह दिए जाने को दिखाता है.

महात्मा गांधी की पहचान और विरासत ने भाजपा-आरएसएस को हमेशा परेशान किया है: तुषार गांधी

एनसीईआरटी ने महात्मा गांधी, उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे और आरएसएस पर 1948 में लगे प्रतिबंध से संबंधित सामग्री को कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान और इतिहास की किताबों से हटा दिया है. इस पर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने कहा कि किताबों से ऐसी सामग्री हटाए जाने से ‘संघ परिवार के ग़लत सूचना के अभियान’ को अधिक स्वीकृति मिलेगी.

पाठ्यपुस्तकों से हटाई गई गांधी, आरएसएस संबंधी सामग्री के बारे में न बताना ‘चूक’: एनसीईआरटी

एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से महात्मा गांधी और आरएसएस संबंधी टेक्स्ट हटाए जाने की बात को पाठ्यक्रम में किए गए बदलावों की आधिकारिक सूची में न रखने की ख़बर सामने आने के बाद एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा है कि ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया. इसका राई का पहाड़ नहीं बनाया जाना चाहिए.

गांधी जी के लिए डिग्रियां बेमानी थीं, लेकिन उन्होंने इन्हें ईमानदार तरीके से हासिल किया था

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल के महात्मा गांधी की शिक्षा के बारे में किए गए दावे के उलट उन्होंने लॉ की डिग्री के साथ-साथ फ्रेंच और लैटिन में डिप्लोमा भी किया था. इसके बाद उन्होंने लंदन के इनर टेंपल के बार में प्रवेश के लिए आवेदन भी किया था.  

गांधी के पास डिग्री न होने के बयान पर तुषार गांधी बोले- जाहिलों को राज्यपाल बनाएंगे तो यही होगा

बीते दिनों एक कार्यक्रम के दौरान जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा था कि यह भ्रांति है कि गांधी जी के पास कानून की डिग्री थी. क्या आप जानते हैं कि उनके पास एक भी विश्वविद्यालय की डिग्री नहीं थी. उनकी एकमात्र योग्यता हाई स्कूल डिप्लोमा थी.

हिंदू महासभा ने नोटों पर गांधी की जगह सावरकर की तस्वीर लगाने की मांग की

अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने भारत सरकार को इस संबंध में एक पत्र लिखा है. इसके अलावा संगठन ने संसद भवन की ओर जाने वाली एक सड़क का नाम भी सावरकर के पर करने की मांग की है.

कांग्रेस का पीएम मोदी पर पलटवार- भारत में कौन नाना के उपनाम का उपयोग अपने नाम के साथ करता है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में एक भाषण में पूछा था कि नेहरू उपनाम का उपयोग करने में गांधी परिवार को शर्म क्यों आती है? उनके इस बयान की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा कि अगर उन्हें भारत की संस्कृति की इतनी बुनियादी समझ भी नहीं है तो इस देश को भगवान ही बचा सकता है.

क्या आरएसएस किसी दलित स्वयंसेवक को सरसंघचालक बनाएगा?

आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बीते दिनों कहा था कि ईश्वर की दृष्टि में हर कोई समान है और उसके सामने कोई जाति या संप्रदाय नहीं है. यह सब पंडितों ने बनाया, जो ग़लत है.

बोस शर्मिंदा होते कि उनका इस्तेमाल गांधी, नेहरू को कमतर दिखाने के लिए हो रहा है: रामचंद्र गुहा

‘इंडिया आफ्टर गांधी’ के तीसरे संस्करण के विमोचन के अवसर पर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा कि उन्हें हैरानी है कि भाजपा साथ मिलकर काम करने वाले महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल को कैसे एक-दूसरे का प्रतिद्वंद्वी दर्शाने में कामयाब रही है.

‘जिस बर्बर ने किया तुम्हारा ख़ून पिता… वह नहीं मूर्ख या पागल, वह प्रहरी है स्थिर-स्वार्थों का’

गांधी की हत्या पर नागार्जुन की लिखी कविता 'तर्पण' में गोडसे को जिन्होंने तैयार किया था, वे कवि की निगाह से छिप नहीं सके. गोडसे अकेला न था. वह उन स्वार्थों का प्रहरी था जिन्हें गांधी की राजनीति से ख़तरा था. वे कौन-से स्थिर स्वार्थ थे जो गांधी को रास्ते से हटाना चाहते थे?

गांधी को एक व्यक्ति ने नहीं, एक विचारधारा ने मारा था…

पुस्तक समीक्षा: गांधी के विचारों से प्रतिक्रियावादी पीछा नहीं छुड़ा सकते इसलिए गांधी पर हमले जारी रहेंगे. ऐसे में 'उसने गांधी को क्यों मारा' की शक्ल में उनकी हत्या के इतिहास को उसके पूरे यथार्थ से बचाए रखना आने वाली पीढ़ियों की चेतना को कुंद किए जाने के ख़िलाफ़ एक मुनासिब कार्रवाई है.

क्या गांधी की हत्या में आरएसएस की भूमिका थी?

गांधीजी की हत्या में आरएसएस का हाथ होने के मामले को अदालती कार्यवाही पर छोड़ना उचित है. लेकिन इतिहास लेखन उनकी हत्या के पीछे छुपे विचार को पकड़ने में दिलचस्पी रखता है.

गांधी की ज़रूरत

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: गांधी-विचार अब तक, सारे हमलों और लांछनों-अपमानों के बावजूद, मौजूद है, प्रेरक हैं और उसका हमारे समय के लिए पुराविष्कार संभव है. भारत में अपार साधनों से अनेक दुष्प्रवृत्तियां पोसी जा रही हैं, गांधी उनका स्थायी और मजबूत प्रतिरोध हैं.

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