अगर जिन्ना, जो कम से कम 1937 तक देश के साझा स्वतंत्रता संघर्ष का हिस्सा थे, की प्रशंसा करना अपराध है तो हमारे निकटवर्ती अतीत में भाजपा के कई बड़े नेता ऐसे अपराध कर चुके हैं.
भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य और आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइज़र पत्रिका के पूर्व संपादक शेषाद्री चारी ने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे नेताओं ने इस बारे में नहीं सोचा. अगर हमारे नेताओं ने तब इस बारे में सोचा होता और जिन्ना को प्रधानमंत्री पद की पेशकश की होती तो कम से कम विभाजन नहीं होता. हालांकि ये अलग मुद्दा है कि उनके बाद प्रधानमंत्री कौन बनता.
वरिष्ठ पत्रकार करण थापर से बात करते हुए महात्मा गांधी के पौत्र और प्रोफेसर राजमोहन गांधी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के गांधी की सलाह पर वीडी सावरकर के माफ़ीनामे लिखने के दावे का खंडन किया और इसे हास्यास्पद बताया.
अगर राजनाथ सिंह को झूठ ही सही, सावरकर के माफ़ीनामे को स्वीकार्य बनाने के लिए गांधी की छतरी लेनी पड़ी तो यह एक और बार सावरकर पर गांधी की नैतिक विजय है. नैतिक पैमाना गांधी ही रहेंगे, उसी पर कसकर सबको देखा जाएगा. जब-जब भारत भटकता है, दुनिया के दूसरे देश और नेता हमें गांधी की याद दिलाते हैं.
सेल्युलर जेल के सामने बने शहीद उद्यान में वीडी सावरकर की मूर्ति और संसद दीर्घा में उनका तैल चित्र लगाकर भाजपा सरकार ने उनकी गद्दारी के प्रति जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की है.
वीडियो: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि एक ख़ास वर्ग विनायक दामोदर सावरकर की दया याचिका को ग़लत तरीके से प्रचारित कर रहा है. उन्होंने दावा किया कि सावरकर ने जेल में अपनी सज़ा काटते हुए महात्मा गांधी के कहने पर अंग्रेज़ों के सामने दया याचिका दायर की थी.
ब्रिटिश मूल के एंथ्रोपोलॉजिस्ट वेरियर एल्विन ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई ख़त्म कर एक ईसाई मिशनरी के रूप में भारत आए थे. 1928 में वे पहली बार महात्मा गांधी को सुनकर उनसे काफी प्रभावित हुए और उनके निकट आ गए. गांधी उन्हें अपना पुत्र मानने लगे थे, लेकिन जैसे-जैसे एल्विन आदिवासियों के क़रीब आने लगे, उनके और गांधी के बीच दूरियां बढ़ गईं.
महात्मा गांधी का मानना था कि अगर हमें अवाम तक अपनी पहुंच क़ायम करनी है तो उन तक उनकी भाषा के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है. इसलिए वे आसान भाषा के हामी थे जो आसानी से अधिक से अधिक लोगों की समझ में आ सके. लिहाज़ा गांधी हिंदी और उर्दू की साझी शक्ल में हिंदुस्तानी की वकालत किया करते थे.
अयोध्या में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपने संबोधन में न अवध की ‘जो रब है वही राम है’ की गंगा-जमुनी संस्कृति की याद आई, न ही अपने गृहनगर कानपुर के उस रिक्शेवाले की, जिसे बीते दिनों बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम होने के चलते पीटा और जबरन ‘जय श्रीराम’ बुलवाकर अपनी ‘श्रेष्ठताग्रंथि’ को तुष्ट किया था.
इस पद के लिए तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को भी शॉर्टलिस्ट किया गया था, लेकिन इन सबको दरकिनार कर चयन समिति ने जस्टिस अरुण मिश्रा को तरजीह दी. पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के जज के पद पर होते हुए भी उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ की थी, जिसके कारण उनकी आलोचना हुई थी कि वह किस हद तक सरकार के क़रीबी हैं.
हीरेन मुखर्जी ने कहा था कि जवाहरलाल नेहरू सफल राजनेता नहीं हो सके क्योंकि राजनीति में सफलता के लिए जो असभ्यता चाहिए, नेहरू उसके सर्वथा अयोग्य थे.
गांधी कहते थे कि वे किसी को चेचक का टीका लेने से नहीं रोकेंगे, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि वे अपनी मान्यता नहीं बदल सकते और टीकाकरण को बढ़ावा नहीं दे सकते हैं.
अखिल भारतीय हिंदू महासभा की ओर से कहा गया है कि वह महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे एवं सह-षड्यंत्रकारी नारायण राव आप्टे से जुड़े तथ्यों की जानकारी देने के लिए 14 मार्च को ग्वालियर से दिल्ली तक वाहन रैली निकालेगी. इस पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि हिंदू महासभा, भाजपा और आरएसएस के कुछ तत्व नफ़रत के सौदागर हैं.
गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा मामले में जिन 37 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज हुई है, उनमें मेधा पाटकर भी हैं. उन्होंने कहा कि कृषि क़ानून सिर्फ किसानों का मुद्दा नहीं है बल्कि खेती और उससे जुड़ा हर शख़्स इनसे प्रभावित होगा. लोकतंत्र को बचाने के लिए एक साथ खड़े होने की ज़रूरत है.
गांधी हिंदू थे, गीता, उपनिषद, वेद आदि के लिए भी उनके मन में ऊंचा स्थान था, पर उनका साफ कहना था कि अगर ये पवित्र ग्रंथ अस्पृश्यता का समर्थन करते हों, तो वे उन्हें भी ठुकरा देंगे. गांधी का एक जीवन दर्शन था जिसकी कसौटी पर महान से महान व्यक्ति, ग्रंथ या विचार को कसा ही जाना था.