क्या प्रधानमंत्री मोदी गांधी के विचारों की हत्या कर रहे हैं?

गांधी के विचार उनकी मृत्यु के बाद भी संघ की कट्टरता की विचारधारा के आड़े आते रहे, इसलिए अपने पहले कार्यकाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी के सारे मूल्यों को ताक में रखकर उनके चश्मे को स्वच्छता अभियान का प्रतीक बनाकर उन्हें स्वच्छता तक सीमित करने का अभियान शुरू कर दिया था.

सावरकर को भारत रत्न देना आज़ादी के नायकों का अपमान है

क्या ऐसा शख़्स, जिसने अंग्रेज़ सरकार के पास माफ़ीनामे भेजे, जिन्ना से पहले धर्म के आधार पर राष्ट्र बांटने की बात कही, भारत छोड़ो आंदोलन के समय ब्रिटिश सेना में हिंदू युवाओं की भर्ती का अभियान चलाया, भारतीयों के दमन में अंग्रेज़ों का साथ दिया और देश की आज़ादी के अगुआ महात्मा गांधी की हत्या की साज़िश का सूत्रसंचालन किया, वह किसी भी मायने में भारत रत्न का हक़दार होना चाहिए?

सावरकर ने आज़ादी की लड़ाई में भूमिका निभाई, देश के लिए जेल गए: अभिषेक मनु सिंघवी

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने सावरकर की याद में डाक टिकट जारी किया था.

गुजरात: स्कूल की परीक्षा में पूछा गया, गांधीजी ने आत्महत्या करने के लिए क्या किया?

इस सवाल को लेकर विवाद होने के बाद अधिकारियों ने इसकी जांच शुरू कर दी है. हालांकि स्कूल प्रशासन ने महात्मा गांधी की आत्मकथा 'सत्य के प्रयोग' का हवाला देते हुए कहा है कि सवाल में कोई गलती नहीं है.

गांधी के देश में अमित शाह की सांप्रदायिकता

वीडियो: हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने कोलकाता की एक रैली में कहा कि हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन को देश छोड़कर नहीं जाना होगा. उनके इस बयान पर चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

गांधी की 150वीं जयंती पर राजद्रोह क़ानून को ख़त्म करना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी

ब्रिटिश राज में बने राजद्रोह क़ानून को सरकारों द्वारा अक्सर आज़ाद अभिव्यक्ति रखने वालों या सत्ता के विरुद्ध बोलने वालों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया गया है.

मैं मोहनदास करमचंद गांधी अब राष्ट्रपिता नहीं कहलाना चाहता…

आज राष्ट्र को वास्तविक पिता की ज़रूरत है, मेरे जैसे सिर्फ नाम के पिता से काम नहीं चलने वाला है. आज बड़े-बड़े फ़ैसले हो रहे हैं. छप्पन इंच की छाती दिखानी पड़ रही है. ऐसा पिता जो पब्लिक को कभी थप्पड़ दिखाए तो कभी लॉलीपॉप, पर अपने तय किए रास्ते पर ही राष्ट्र को ठेलता जाए. मैं ऐसे राष्ट्रपिता की ज़रूरत कैसे पूरी कर सकता हूं?

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर सैकड़ों कैदियों को रिहा किया जाएगा

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार हत्या, बलात्कार और भ्रष्टाचार के अपराधों को छोड़कर छिटपुट मामलों के सैकड़ों दोषियों को रिहा किया जाएगा.

‘गांधी और जिन्ना ने एक दूसरे को समझा होता तो देश का इतिहास कुछ और होता’

वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका शीला रेड्डी से उनकी किताब ‘मिस्टर एंड मिसेज़ जिन्नाः द मैरिज दैट शूक इंडिया’ को लेकर रीतू तोमर से बातचीत.

जब गांधी ने ज़रूरत पड़ने पर ‘हिंसक साधनों’ का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी

आज़ादी के 75 साल: स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी की भूमिका के बारे में काफी कुछ लिखा गया है, मगर उत्तर-पूर्व को आज़ाद भारत के साथ जोड़ने में उन्होंने जिस तरह से नेतृत्व किया, इस बारे में काफी कम लिखा गया है.

नकली इतिहास भारत पर प्रेतात्मा बन कर छाया हुआ है

स्मृति के रूप में जीवित विभाजन एक मौखिक संसार है, जो चुप्पियों में दबा हुआ है, नाउम्मीदी की भाषा में फंसा हुआ है. 76 सालों के बाद भी जिसके ज़ख़्म भरने का नाम नहीं लेते.

अगर तिरंगा फहराना ही देशभक्ति है तो संघ पंद्रह साल पहले ही देशभक्त हुआ है

क्या 2002 के पहले तिरंगा भारतीय राष्ट्र का राष्ट्रध्वज नहीं था या फिर आरएसएस खुद अपनी आज की कसौटी पर कहें तो देशभक्त नहीं था?

जब प्रेमचंद ने महात्मा गांधी का भाषण सुनकर सरकारी नौकरी छोड़ दी थी…

वह असहयोग आंदोलन का ज़माना था, प्रेमचंद गंभीर रूप से बीमार थे. बेहद तंगी थी, बावजूद इसके गांधी जी के भाषण के प्रभाव में उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया था.

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