राष्ट्रवाद और सैन्य बलों को चुनाव प्रचार में घसीटकर उनका राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश मतदाताओं को आकर्षित करने की गारंटी नहीं है और इसका उलटा असर भी हो सकता है. चुनाव की तैयारी कर रहीं पार्टियों की रणनीति देखते हुए यह साफ़ हो रहा है कि कोई भी अपनी निर्णायक जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है.
मोदी सरकार का पिछले साढ़े चार साल का अनुभव यह बताने के लिए काफ़ी है कि एक नेता या एक वर्चस्वशाली पार्टी के इर्द-गिर्द बनी सरकारें घमंडी और अक्खड़ जैसा व्यवहार करने लगती हैं और आलोचनाओं को लेकर कठोर हो जाती हैं.
कोलकाता में विपक्ष की यूनाइटेड इंडिया रैली में एकजुट नज़र आए विपक्ष के नेताओं ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भाजपा के ख़िलाफ़ भरी हुंकार. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मोदी-शाह की जोड़ी 2019 में चुनाव जीतती है तो संविधान बदल देगी. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने कहा कि भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष को मिलकर लड़ना होगा.