मणिपुर के कांगपोकपी ज़िले के कांगचुप चिंगखोंग गांव के पास एक सुरक्षा चौकी पर हथियारबंद भीड़ ने कुकी-ज़ोमी समुदाय के पांच सदस्यों का अपहरण कर लिया. इनमें से चार एक सैनिक के परिजन हैं. घटना में घायल सैनिक के 65 वर्षीय पिता को सुरक्षा बलों ने बचा लिया, जिन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
मणिपुर में लूटे गए और अब तक गायब बड़ी संख्या में हथियार चिंता का एक बड़ा कारण है. अगर ये हथियार वापस नहीं आते हैं, तो ये गलत हाथों में हैं. उनमें से कई विद्रोहियों के पास जा सकते हैं. मणिपुर हिंसा छह महीने बाद भी लूटे गए हथियारों में केवल एक चौथाई हथियार और 5 प्रतिशत से भी कम गोला-बारूद बरामद हो पाए हैं.
मणिपुर में 3 मई को शुरू हुए मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के दौरान पुलिस और राज्य के शस्त्रागारों से चुराए गए हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी से संबंधित एक रिपोर्ट बताती है कि लूटे गए लगभग 5,600 हथियारों में से लगभग 1,500 ही बरामद हो पाए हैं.
मणिपुर में 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसे 23 सितंबर को कुछ समय के लिए बहाल किया गया था, लेकिन 26 सितंबर को दो लापता युवाओं के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आने के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के मद्देनज़र फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया.
मणिपुर के शांतिपूर्ण इलाकों में इंटरनेट सेवाओं की तत्काल बहाली की मांग को लेकर ऑल नगा स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने राज्य के नगा-बसाहट वाले इलाकों में 24 अक्टूबर से सरकारी कार्यालयों पर धरना शुरू किया है. छात्रों का कहना है कि जब अशांति कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित है तब भी मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध अनुचित है.
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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मणिपुर में हिंसा के 175वें दिन कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर के लोगों को तब छोड़ा जब उन्हें उनके हस्तक्षेप की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी. उन्होंने सवाल भी किया कि एन. बीरेन सिंह को अब भी राज्य का मुख्यमंत्री बने रहने की अनुमति क्यों दी जा रही है.
म्यांमार सीमा से लगे मणिपुर के तेंगनौपाल ज़िले के मोरेह शहर में आदिवासी महिलाओं का विरोध प्रदर्शन जारी है. कई आदिवासी संगठनों ने दावा किया कि शहर में इंफाल घाटी से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात करने के प्रयास चल रहे हैं, इससे शांति भंग हो सकती है. उनके अनुसार, अतिरिक्त मेइतेई पुलिस की तैनाती गंभीर चिंता का विषय है.
मणिपुर: सरकार ने कोर्ट को नहीं बताया- मेईतेई को एसटी दर्जा देने की मांग 1982 व 2001 में ख़ारिज हुई थी
1982 में भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने मणिपुर के बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने से इनकार किया था और फिर 2001 में मणिपुर सरकार ने. हालांकि इस साल एसटी दर्जे की मांग की याचिका सुन रहे हाईकोर्ट को केंद्र और न ही मणिपुर सरकार ने यह जानकारी दी.
सीबीआई ने गुवाहाटी में एक विशेष अदालत के समक्ष छह लोगों और एक नाबालिग के खिलाफ मई की घटना के संबंध में आरोप पत्र दायर किया है. मई में हुई इस घटना का वीडियो जुलाई महीने में सामने आया था, जिसमें भीड़ द्वारा कुकी समुदाय की दो महिलाओं को नग्नकर घुमाकर उन पर यौन हमला किया गया था.
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कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और आम आदमी पार्टी समेत 10 राजनीतिक दलों के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके को दिए ज्ञापन में कहा है कि राज्य सरकार जातीय संकट के कुछ पहलुओं को पर्याप्त रूप से संबोधित करने में विफल रही है.
बीते 8 जुलाई को मणिपुर पुलिस ने मेईतेई लीपुन संगठन के प्रमुख प्रमोत सिंह के ख़िलाफ़ कुकी छात्र संगठन की शिकायत पर एफ़आईआर दर्ज की थी. उन पर आदिवासी कुकी समुदाय के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी का आरोप है. इस मामले में सिंह को थाने में पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं किया.
पांच महीने से अधिक समय से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर के गृह विभाग द्वारा जारी राज्यपाल के एक आदेश में कहा गया है कि हिंसा की तस्वीरें या वीडियो रखने वाले व्यक्ति इसे सोशल मीडिया पर फैलाने की बजाय पुलिस को दें. अगर किसी को ऐसी सामग्री प्रसारित करते पाया गया, तो उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया जाएगा.
बीते दिनों मणिपुर हिंसा से जुड़ा एक और वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें कुछ लोग जमीन पर पड़े एक व्यक्ति को आग लगाते देखे जा सकते हैं. पहले पीड़ित की पहचान 37 वर्षीय लालदिनथांगा खोंगसाई के रूप में होने का दावा किया गया था, लेकिन अब पुलिस सूत्रों और खोंगसाई के परिजनों ने पहचान पर संदेह व्यक्त किया है.