कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री दुनिया के अन्य हिस्सों में संकटों और संघर्षों को लेकर अधिक चिंतित हैं, जबकि उनके ही देश का एक राज्य (मणिपुर) पिछले 16 महीनों से जल रहा है लेकिन उनके पास वहां जाने के लिए वक़्त नहीं है.
हिंसाग्रस्त मणिपुर में छात्रों द्वारा डीजीपी और राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांगों को लेकर इंफाल में हुए प्रदर्शनों के दौरान पुलिस के साथ झड़पों में 40 से अधिक छात्र घायल हुए हैं. पुलिस का कहना है कि राज्य में बुधवार को स्थिति तनावपूर्ण, मगर नियंत्रण में है.
मणिपुर में बढ़ती हिंसा के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अन्य राज्यों में राजनीतिक रैलियां कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना की है और इसे उनके द्वारा अपने संवैधानिक कर्तव्यों की उपेक्षा करना बताया है.
इस बीच, कुकी-ज़ो समुदाय के एक सेवानिवृत्त सैन्य जवान को रविवार रात इंफाल पश्चिम ज़िले में बुरी तरह पीटा गया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. घटना तब हुई जब वह अनजाने में एक मेईतेई बहुल इलाके में प्रवेश कर गए थे.
मणिपुर की पूर्व राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि हिंसा प्रभावित राज्य के लोग इस बात से दुखी हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी अभी तक वहां नहीं गए हैं. साथ ही उन्होंने जोड़ा कि सीएम एन. बीरेन सिंह ने कुछ ऐसे फैसले नहीं लिए, जो हिंसा प्रभावित राज्य की स्थिति को काफ़ी बदल सकते थे.
मणिपुर के जिरीबाम ज़िले में शनिवार को हिंसा भड़क उठी, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई. मृतकों में चार हथियारबंद लोग भी शामिल हैं. इससे पहले शुक्रवार को विष्णुपुर ज़िले के गांवों पर पास की पहाड़ियों से रॉकेट दागे गए, जिसमें एक 70 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई और कम से कम पांच लोग घायल हुए.
पुलिस ने बताया कि हथियारबंद लोगों ने जिरीबाम ज़िले के जकुरधोर गांव में एक घर को आग लगा दी. यह घर बोरोबेक्रा थाने के पूर्व प्रभारी का था, जिनका परिवार जून में हिंसा भड़कने के बाद इस घर को खाली कर चला गया था.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के दामाद और भाजपा विधायक राजकुमार इमो सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य में लगभग 60,000 केंद्रीय बलों की मौजूदगी से भी शांति कायम नहीं हो पा रही है, इसलिए ऐसे बलों को हटाना बेहतर है जो मूकदर्शक बने हुए हैं.
इंफाल पश्चिम के कोत्रुक में यह हमला द वायर द्वारा उन ऑडियो टेप को सार्वजनिक किए जाने के बाद हुआ है, जो मणिपुर हिंसा की जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित आयोग को सौंपे गए हैं. टेप से संकेत मिलता है कि सीएम एन. बीरेन सिंह और उनका प्रशासन सीधे तौर पर हिंसा में शामिल रहे हैं.
मणिपुर टेप्स पड़ताल के तीसरे हिस्से में कथित तौर पर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह कहते हैं कि राज्य की सरकारी नौकरियों में अधिकतर कुकी हैं, जो एसटी कोटे की मदद वहां पहुंचे हैं. वे कथित तौर पर पंद्रह महीने से जारी जातीय संघर्ष को शुरू करने का दावा भी करते हैं.
वीडियो: मणिपुर में बीते 15 महीनों से जारी जातीय संघर्ष के बीच एक पड़ताल में सामने आए ऑडियो टेप्स ने सीएम एन. बीरेन सिंह की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. हिंसा के दौरान राज्य में तैनात असम राइफल्स को लेकर भी विवाद हुआ. इन पर द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती और द हिंदू की डिप्टी एडिटर विजेता सिंह से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
मणिपुर टेप्स पड़ताल के दूसरे हिस्से में कथित तौर पर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह यह कहते हैं कि उन्हें राज्य में जातीय हिंसा के दौरान यौन शोषण का शिकार हुई दो कुकी-ज़ो महिलाओं के वायरल वीडियो को लेकर बचाव में नहीं आना चाहिए था और मेईतेई लोगों को उन्हें बचाने, कपड़े देकर घर भेजने का श्रेय लेना चाहिए था.
मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह की कथित आवाज़ वाले ऑडियो टेप के संबंध में द वायर के ख़ुलासे के बाद राज्य के दस कुकी विधायकों ने एक संयुक्त बयान जारी करके कहा है कि राज्य प्रायोजित जातीय नरसंहार में मुख्यमंत्री की मिलीभगत अब बिना किसी संदेह के स्थापित हो चुकी है.
मणिपुर में सालभर से चल रहे संघर्ष की पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की एक कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग, जिसे हिंसा की जांच कर रहे आयोग के सामने भी रखा गया है, सीएम के तौर पर उनके आचरण और इरादों पर सवाल खड़े करती है. मणिपुर सरकार ने रिकॉर्डिंग को 'फ़र्ज़ी' कहा है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस मनाते समय हमें मणिपुर की दुर्दशा पर भी विचार करना चाहिए, जहां सच्ची आज़ादी अभी भी दूर है.