बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक व्यक्ति को बलात्कार के मामले से बरी करते हुए ये टिप्पणी की, जहां उस पर धोखाधड़ी से एक महिला की सहमति प्राप्त करने का आरोप था. अदालत ने कहा कि वादा तोड़ने और झूठा वादा पूरा न करने के बीच अंतर है. सत्र अदालत द्वारा आवेदन को ख़ारिज करने के बाद आरोपी ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वयस्कों के बीच सहमति से बने शारीरिक संबंध को बलात्कार नहीं कहा जा सकता, अगर दोनों में से किसी एक पक्ष ने शादी करने से इनकार कर दिया हो. ओडिशा हाईकोर्ट ने भी बीते दिनों ऐसा ही एक फैसला सुनाया था.
भुवनेश्वर के एक शख़्स पर लगे बलात्कार के आरोप ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि नेक इरादे से कोई वादा करने, जो किसी वजह से पूरा नहीं हुआ और शादी का झूठा वादा करने के बीच बारीक अंतर है. पहली स्थिति में यौन संबंध के लिए आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध नहीं बनता, जबकि बाद वाली स्थिति में बनता है.