बाबू जगदेव प्रसाद: ‘पहली पीढ़ी के लोग मारे जाएंगे, दूसरी के जेल जाएंगे और तीसरी पीढ़ी राज करेगी’

जन्मदिन विशेष: 'बिहार के लेनिन' कहे जाने वाले बाबू जगदेव प्रसाद कहते थे कि आज का हिंदुस्तानी समाज साफ तौर से दो भागों में बंटा हुआ है- दस प्रतिशत शोषक और नब्बे प्रतिशत शोषित. यह इज़्ज़त और रोटी की लड़ाई हिंदुस्तान में समाजवाद या कम्युनिज़्म की असली लड़ाई है. भारत का असली वर्ग संघर्ष यही है.

सवाल कविता कृष्णन पर नहीं, सीपीआई माले पर है

कविता कृष्णन के सवालों पर चुप्पी साधते हुए सीपीआई माले के उन्हें विदा करने के बाद बहुत सारे पुराने, निष्क्रिय ‘मार्क्सवादियों’ ने इस बात के लिए दोनों की तारीफ़ की कि उन्होंने अलग होने में ‘शालीनता दिखाई.’ ज़रूरी सवालों पर चुप रह जाना शालीनता नहीं होती, बल्कि उठाए गए सवालों पर सहमति होती है.

यशपाल: ‘मैं जीने की कामना से, जी सकने के प्रयत्न के लिए लिखता हूं…’

विशेष: यशपाल के लिए साहित्यिकता अपने विचारों को एक बड़े जन-समुदाय तक पहुंचाने का माध्यम थी. पर इस साहित्यिकता का निर्माण विद्रोह और क्रांति की जिस चेतना से हुआ था, वह यशपाल के समस्त लेखन का केंद्रीय भाव रही. यह उनकी क्रांतिकारी चेतना ही थी जो हर यथास्थितिवाद पर प्रश्न खड़ा करती थी.

वामपंथ से इतनी घृणा क्यों?

सुब्रमण्यम स्वामी ने पूछा कि ‘विदेशी आतंकवादी’ लेनिन की मूर्ति देश में कहीं भी क्यों होनी चाहिए? काश कोई उन्हें बताता कि लेनिन तब से भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन की प्रेरणा हैं, जब स्वामी की पार्टी के पुरखे अंग्रेज़ों का हुक्का भरने में मगन थे.