इन चारों शिक्षकों पर विश्वविद्यालय की आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए ‘इसके हितों के ख़िलाफ़ छात्रों को भड़काने’ का आरोप लगाया गया है. यह कार्रवाई स्नातकोत्तर छात्रों के लिए मासिक छात्रवृत्ति में कटौती के विरोध में पिछले साल छात्रों के कई महीने चले विरोध प्रदर्शन के बाद की गई है.