अदालत दिल्ली दंगे के दौरान हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी. इस मामले में पहले ही पांच लोगों को ज़मानत मिल चुकी है. हाईकोर्ट ने कहा कि यह हमारे संविधान में निहित सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है कि एक आरोपी को मुक़दमे के लंबित रहने के दौरान सलाखों के पीछे रहने दिया जाए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या के लिए अभियोजन का सामना कर रहे पांच आरोपियों को ज़मानत देते हुए कहा कि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि विरोध करने और असहमति जताने का अधिकार एक ऐसा अधिकार है, जो लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था में मौलिक दर्जा रखता है.
पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान लूटपाट और परिसर में आग लगाने के आरोप में दर्ज पांच में चार एफ़आईआर रद्द करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा कि एक ही घटना के लिए पांच अलग-अलग एफ़आईआर दर्ज नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह शीर्ष अदालत द्वारा प्रतिपादित क़ानून के विपरीत है.
विशेष: साल 2020 के दिल्ली दंगों को लेकर द वायर की श्रृंखला के दूसरे हिस्से में जानिए कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद को, जिनके नफ़रत भरे भाषणों ने उन दंगाइयों में कट्टरता पैदा की, जिन्होंने फरवरी 2020 के आखिरी हफ़्ते में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में क़हर बरपाया.
वीडियो: उत्तर पूर्वी दिल्ली के मौजपुर इलाके में पिछले साल हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान तमाम दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया था. दुकानदारों का दावा है कि उन्होंने जितनी क्षतिपूर्ति का दावा किया था, उससे काफ़ी कम मुआवज़ा उन्हें प्रदान किया गया.
विशेष: साल 2020 के दिल्ली दंगों को लेकर द वायर की श्रृंखला के पहले हिस्से में जानिए उन हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं को, जिन्होंने नफ़रत फ़ैलाने, भीड़ जुटाने और फिर हिंसा भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
सामूहिक हिंसा एक तरह की नहीं होती. दो समूह लड़ पड़ें, तो वह सामूहिक हिंसा है. एक समूह को निशाना बनाकर की जाने वाली हिंसा भी सामूहिक हिंसा ही है. ऐसी हिंसा को भारत में प्रायः दंगा कह देते हैं. दंगा शब्द में कुछ स्वतः स्फूर्तता का भाव आता है, लेकिन यह सच नहीं है.
आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन पर आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या का आरोप है. अंकित की हत्या उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के दौरान हुई थी. ताहिर पर मनी लॉन्ड्रिंग सहित कई अन्य मामलों में भी केस दर्ज किया गया है.
दंगा प्रभावित लोगों के लिए आम जनता की तरफ से किए जा रहे सभी प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन यह कोई स्थायी समाधान नहीं है. दंगे में अपना सब कुछ खो चुके निर्दोष लोगों को सरकार की तरफ से सम्मानजनक मदद मिलनी चाहिए थी न कि उन्हें समाज के दान पर निर्भर रहना पड़े.
समाज में मुस्लिम विरोधी पूर्वाग्रह तो पहले से ही मौजूद था, संघ की छत्रछाया में उनके ख़िलाफ़ सतत तरीके से चलाए गए अभियान को अब लहलहाने के लिए उपजाऊ ज़मीन मिल गई है.
दिल्ली में हुए दंगे के दौरान मारे गए आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके शरीर पर मिले चोट के निशान में चाकू से गोदे जाने के 12 निशान हैं.
देश के सार्वजनिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती ने ट्वीट कर कहा था कि विदेश मंत्रालय ने अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास से भारत विरोधी व्यवहार को लेकर वॉल स्ट्रीट जर्नल के दक्षिण एशियाई डिप्टी ब्यूरो चीफ एरिक बेलमैन को तत्काल प्रभाव से वापस भेजने के एक अनुरोध को देखने के लिए कहा है. हालांकि विदेश मंत्रालय ने इस ख़बर का खंडन किया है.
विपक्षी दलों ने दिल्ली हिंसा के दौरान गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस पर अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहने का आरोप लगाया और मांग की कि इस प्रकरण की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए.
निलंबित आप पार्षद हुसैन पर पिछले महीने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान खुफिया ब्यूरो के एक कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या का भी आरोप है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा कि 25 फरवरी के बाद दिल्ली में एक भी दंगा नहीं हुआ. पुलिस ने 36 घंटे में दंगे पर काबू पा लिया था.