फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार की रिपोर्ट बताती है कि जुलाई 2023 में भारत में फ्रांसीसी राजदूत इमैनुएल लेनैन ने आपराधिक मामलों पर भारत के सहयोग में पेश आई चुनौतियों का ज़िक्र किया था. उनका कहना था कि भारत द्वारा कई मामलों को बेहद देरी से और अक्सर आधे-अधूरे तरीके से निपटाया जा रहा है.
फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार की रिपोर्ट में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2015 की पेरिस यात्रा के बाद कारोबारी अनिल अंबानी द्वारा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉ और वित्त मंत्री को भेजे गए पत्र का भी ख़ुलासा किया गया है, जिसमें उन्होंने 151 मिलियन यूरो के टैक्स बिल को कम करने की मांग की थी.
फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार के अनुसार, रफाल निर्माता दासो एविएशन ने ‘फ़र्ज़ी बिल’ के ज़रिये बिचौलिए सुषेन गुप्ता को रिश्वत दी थी और 2018 में भारत में इस सौदे में भ्रष्टाचार की आधिकारिक शिकायत मिलने के हफ्तेभर बाद सीबीआई को मॉरीशस के अटॉर्नी-जनरल के कार्यालय से इससे संबंधित कई दस्तावेज़ मिले थे.
वीडियो: फ्रांस की इनवेस्टिगेटिव वेबसाइट मेदियापार की एक नई रिपोर्ट में ऐसे ‘कई फ़र्ज़ी बिल’ प्रकाशित किए गए हैं, जिसे लेकर ये दावा है कि इसके माध्यम से दासो एविएशन की ओर से बिचौलिए सुषेन गुप्ता को साल 2007 से 2012 के बीच सात मिलियन यूरो से अधिक की रिश्वत दी गई. इस बारे में मिताली मुखर्जी और रक्षा विशेषज्ञ अजय शुक्ला से बात कर रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
मोदी सरकार के पास दासो एविएशन के साथ सौदे पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त सबूत थे. ऐसे में यह सौदा क्यों हुआ? अगर पिछली यूपीए सरकार में रिश्वत मिली थी, तो दासो को ब्लैकलिस्ट में क्यों नहीं डाला गया?
फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार के अनुसार, सीबीआई को 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस के अटॉर्नी-जनरल के कार्यालय से कई दस्तावेज़ मिले थे, जिसमें 'फ़र्ज़ी बिल' भी शामिल थे. ऐसा जांच एजेंसी को रफाल मामले में भ्रष्टाचार से संबंधित आधिकारिक शिकायत मिलने के ठीक एक सप्ताह बाद हुआ था.
कुछ दिन पहले इज़रायल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने फ्रांस के अपने समकक्ष के साथ बातचीत करने के लिए गुप्त रूप से पेरिस का दौरा किया था, जिसका उद्देश्य फ्रांस के राष्ट्रपति और अन्य शीर्ष अधिकारियों के सेल फोन को इज़रायली कंपनी एनएसओ समूह द्वारा तैयार किए गए पेगासस स्पायवेयर के कथित इस्तेमाल को लेकर पैदा हुए संकट को समाप्त करना था.
द वायर सहित एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इज़रायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये कई देशों के नेता, पत्रकार, कार्यकर्ताओं आदि के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे सर्विलांस के संभावित निशाने पर थे.
फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि फ्रांसीसी सुरक्षा एजेंसी द्वारा की गई एक जांच में पांच कैबिनेट मंत्रियों के फोन में ख़तरनाक पेगासस स्पायवेयर के होने का पता चला है. जुलाई महीने में पेगासस प्रोजेक्ट के तहत सामने आए संभावित सर्विलांस का निशाना बने फोन नंबरों के डेटाबेस में भी इन मंत्रियों के नंबर मिले थे.
सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दाख़िल कर नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दिए गए किसी भी ग़लत विमर्श को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा. हालांकि, सरकार ने यह नहीं बताया कि वह ऐसा कब करेगी, समिति में कौन होगा या समिति जांच में कितना समय लेगी.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक पैनल ने कहा कि यह रोक तब तक लगाई जानी चाहिए जब तक कि विभिन्न सरकारें ऐसे स्पायवेयर के इस्तेमाल को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के पालन की मज़बूत व्यवस्था न बना लें. विशेषज्ञों ने कहा कि वे चिंता में हैं कि मानवाधिकार रक्षकों, पत्रकारों और राजनीतिक विरोधियों पर नज़र रखने, उन्हें डराने एवं चुप कराने के लिए निगरानी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने संसद में कहा था कि उसने इज़राइल स्थित एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर को ख़रीदने को लेकर कोई लेन-देन नहीं किया है. एनएसओ समूह पर भारत सहित कई देशों में पत्रकार, कार्यकर्ता और नेताओं के फोन पर नज़र रखने के लिए पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं.
इज़रायल के एनएसओ समूह ने सैन्य स्तरीय जासूसी स्पायवेयर पेगासस को विकसित किया है, जिस पर भारत सहित कई देशों में तमाम नेताओं, पत्रकार और कार्यकर्ताओं आदि के फोन पर नज़र रखने के आरोप लग रहे हैं. रक्षा मंत्रालय के एसएसओ समूह से लेन-देन के संबंध में इनकार पर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि रक्षा मंत्रालय सही है, तो एक मंत्रालय/विभाग को इससे अलग कर देते हैं, लेकिन शेष सभी मंत्रालयों/विभागों की ओर से केवल प्रधानमंत्री ही जवाब
इज़रायल स्थित एनएसओ ग्रुप के स्पायवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाले कुछ याचिकाकर्ताओं के सोशल मीडिया और वेबसाइटों पर समानांतर वाद-विवाद करने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी ज़ाहिर की है. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत वाद-विवाद की विरोधी नहीं है, लेकिन जब मामला अदालत में लंबित है तो इस पर चर्चा यहीं होनी चाहिए.
पेगासस जासूसी विवाद एवं कृषि क़ानूनों पर चर्चा के लिए विपक्षी दलों ने मिलकर तीन मिनट का एक वीडियो बनाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार उनकी मांगों को सुने.