ओडिशा सरकार ने राज्य के डॉक्टरों को ‘न्यायिक प्रणाली में साक्ष्यों के संबंध में’ मेडिको-लीगल रिपोर्ट या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को बड़े अक्षरों में या टाइप किए गए रूप में या पढ़ने लायक लिखावट में लिखने का भी निर्देश दिया. हाल ही में उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा था कि डॉक्टरों के बीच टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट का चलन फैशन बन गया है.
सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2019 में एक दो वर्षीय शिशु द्वारा अपनी मां के माध्यम से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कॉरपोरेट अस्पतालों के किडनी रैकेट की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की गई थी. अदालत ने कहा कि यह पुलिस और कार्यकारी तंत्र के माध्यम से निपटने वाले प्रशासनिक मुद्दे हैं.
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित समारोह में भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि अस्पताल कंपनियों की तरह चलाए जा रहे हैं, जहां मुनाफ़ा कमाना समाज की सेवा से अधिक महत्वपूर्ण है. इसके कारण डॉक्टर और अस्पताल समान रूप से मरीजों की दुर्दशा के प्रति असंवेदनशील हो जाते हैं.