दिल्ली पुलिस ने राजद्रोह, आपराधिक साजिश और घृणा फैलाने से संबंधित धाराओं में यह एफआईआर दर्ज की है. पुलिस ने बताया कि मामले में किसी को भी नामज़द नहीं किया गया है. यह सिर्फ़ टूलकिट के निर्माताओं के ख़िलाफ़ है. कृषि क़ानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन का पर्यावरण और जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने समर्थन किया था.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए सवाल किया कि सरकार दिल्ली में किलेबंदी क्यों कर रही है? क्या वह किसानों से डरती है? क्या किसान दुश्मन हैं? दिल्ली की सीमाओं पर अवरोधक लगाने और सड़कों पर कील गाड़ने के क़दम की महबूबा मुफ़्ती और मायावती जैसे नेताओं ने भी निंदा की है.
वीडियो: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और अति महत्वपूर्ण मुद्दों को ‘टीआरपी तमाशा’ बना दिया गया है. ‘रिपब्लिक टीवी’ के संपादक अर्णब गोस्वामी और टीआरपी रेटिंग एजेंसी बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच लीक हुए कथित वॉट्सऐप चैट को लेकर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की उनसे बातचीत.
टेरर फंडिंग के आरोप में एनआईए द्वारा गिरफ़्तार पीडीपी की युवा इकाई के नेता वहीद पारा को शनिवार को अदालत ने ज़मानत देते हुए कहा था कि उन पर लगाए आरोपों का कोई अर्थ नहीं है. इसी दिन उनकी रिहाई के फौरन बाद पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस विंग ने एक अन्य मामले में उन्हें हिरासत में ले लिया.
टेरर फंडिंग के आरोप में एनआईए द्वारा गिरफ़्तार किए गए पीडीपी की युवा इकाई के नेता वहीद पारा को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि उन पर लगाए गए आरोपों का कोई अर्थ नहीं है. उनका नाम न आरोपियों में है, न ही चार्जशीट में लेकिन उनकी जांच की जा रही है.
पीडीपी की युवा इकाई के नेता वहीद पर्रा को टेरर फंडिंग के आरोप में एनआईए द्वारा गिरफ़्तार किए जाने समेत अन्य मामलों में विभिन्न एजेंसियों की जांच पर पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि एक भी मामला साबित होने पर वे परिणाम भुगतने को तैयार हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि जब तक जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष दर्ज़े को बहाल नहीं किया जाता है, तब तक वह चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने कहा कि अगर सरकार उन्हें हिरासत में लेना चाहती है तो सीधे उनके पास आए, लेकिन परिवार के सदस्यों, दोस्तों और पार्टी के सहयोगियों को परेशान करना बंद कर दे.
जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) की 280 सीटों के लिए आठ चरण में चुनाव कराए गए थे. इस चुनाव में 2,178 उम्मीदवार मैदान में थे. जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्ज़ा ख़त्म किए जाने के बाद इस केंद्र शासित प्रदेश में यह पहला चुनाव था.
डीडीसी चुनाव नतीजे आने के एक दिन पहले जम्मू कश्मीर में अधिकारियों ने बताया कि कम से कम 20 राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लिया है. इनमें महबूबा मुफ़्ती की पार्टी पीडीपी के तीन वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं. मुफ़्ती ने आरोप लगाया कि भाजपा पर चुनाव नतीजों से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रही है.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने आरोप लगाया है कि वह पार्टी की युवा इकाई के नेता वाहिद पर्रा के परिवार से मिलने पुलवामा जाने वाली थीं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें मंज़ूरी नहीं दी. वाहिद ने डीडीसी चुनाव में नामांकन दाख़िल किया था. आतंक से संबंधित एक मामले में एनआईए ने 25 नवंबर को उन्हें गिरफ़्तार किया है.
पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लरेशन की ओर से कहा गया है कि प्रचार से रोककर उनके उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया रहा है. अलायंस में शामिल पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने आरोप लगाया कि डीडीसी चुनावों में ग़ैर-भाजपा दलों की भागीदारी को भारत सरकार ने नुकसान पहुंचा रही है. माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ़ तारिगामी ने भी प्रचार न करने देने की बात कही है.
बताया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में ज़िला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव में सीट बंटवारे में असहमति को लेकर मुज़फ़्फ़र हुसैन बेग़ इस्तीफ़ा दिया है. जम्मू कश्मीर में 28 नवंबर से 24 दिसंबर के बीच आठ चरणों में डीडीसी चुनाव कराए जाएंगे.
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के क़रीब 14 महीने बाद रिहा होने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि भाजपा ने देश के संविधान को ध्वस्त कर दिया है और संविधान के स्थान पर अपना घोषणापत्र थोपना चाहती है.
पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को ख़त्म कर जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से ही नज़रबंद थीं. रिहा होने के बाद मुफ़्ती ने कहा कि जो हमसे छीना गया, उसे वापस लेना होगा.
पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती को 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से कुछ घंटे पहले एहतियातन हिरासत में लिया गया था, लेकिन उनकी छह महीने की हिरासत अवधि समाप्त होने से पहले ही उन पर पीएसए लगा दिया गया. तब से लगातार उनकी हिरासत अवधि को बढ़ाया जा रहा है.