वीडियो: संभाजी भिड़े एक ऐसा नाम है, जो हमेशा चर्चा में रहता है. कट्टर दक्षिणपंथी नेता के तौर पर संभाजी को पूरे महाराष्ट्र में पहचाना जाता है. उन्होंने जुलाई में अमरावती में एक कार्यक्रम दौरान कथित तौर पर महात्मा गांधी को लेकर विवादास्पद बयान दिया था. इस बयान के बाद राज्य में उनके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था.
1 जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र में पुणे के भीमा कोरेगांव इलाके में हुई हिंसा के बाद दलित राजनीतिक कार्यकर्ता अनीता सावले ने संभाजी भिड़े और एक अन्य हिंदुत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे के नाम एक एफ़आईआर दर्ज कराई थी, जिसमें उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था, जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे.
रायपुर में एक कार्यक्रम के दौरान महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए कालीचरण के ख़िलाफ़ छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में मामले दर्ज किए गए हैं. पुणे की एक अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
रायपुर में एक कार्यक्रम के दौरान महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए कालीचरण के ख़िलाफ़ छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में मामले दर्ज किए गए हैं. पुणे पुलिस ने एक अन्य कार्यक्रम में कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में बीते सप्ताह उन्हें गिरफ़्तार किया था, जिसमें कोर्ट ने सात जनवरी को उन्हें ज़मानत दे दी थी.
पुणे पुलिस ने धार्मिक नेता कालीचरण महाराज, दक्षिणपंथी नेता मिलिंद एकबोटे, कैप्टन (रिटा.) दिगेंद्र कुमार और अन्य के ख़िलाफ़ एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया था. कालीचरण पर महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में दो मामले दर्ज किए गए हैं.
धार्मिक नेता कालीचरण महाराज पर महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में दो मामले दर्ज किए गए हैं. पुणे पुलिस ने एक कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में कालीचरण, दक्षिणपंथी नेता मिलिंद एकबोटे और चार अन्य के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है. एकबोटे भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी हैं.
एल्गार परिषद मामले में एक आरोपी और गवाह का कहना है कि भीमा-कोरेगांव हिंसा आरएसएस कार्यकर्ता संभाजी भिड़े और भाजपा के पूर्व पार्षद मिलिंद एकबोटे ने भड़काई थी. उन्होंने जांच आयोग को एक प्रेस विज्ञप्ति भी सौंपी तथा दावा किया कि वह विज्ञप्ति मिलिंद एकबोटे ने हिंसा से कुछ दिन पहले पुणे के ज़िलाधिकारी को दी थी और उसमें मुख्य रूप से दलित और आंबेडकरवादी समुदायों के लोगों के एकत्रित होने के प्रति विरोध जताया था.
हिंदूत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे द्वारा हाल ही में दिए गए बयान से कथित तौर पर दो समुदायों के बीच वैमनस्यता को प्रोत्साहन देने के आरोप में उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. पुणे शहर के कोंढवा इलाके में हज हाउस के निर्माण के विरोध में उन पर आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगा है.
भीमा-कोरेगांव हिंसा के एक दिन बाद 2 जनवरी 2018 को एक दलित कार्यकर्ता ने श्री शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के अध्यक्ष संभाजी भिड़े और समस्त हिंदू अघाड़ी नेता मिलिंद एकबोटे के ख़िलाफ़ हिंसा को उकसाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था. महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने कहा कि सरकार को चार्जशीट के लिए मंज़ूरी का प्रस्ताव मिला है, इस पर निर्णय लिया जाएगा.
साल 2018 में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर हिंसा की घटनाओं की जांच करने के लिए महाराष्ट्र की तत्कालीन देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस जेएन पटेल की अध्यक्षता में दो सदस्यीय आयोग का गठन किया गया था.
2018 में भीमा-कोरेगांव में दलित समुदाय के लोगों पर हिंसक भीड़ के हमले के एक दिन बाद एक कार्यकर्ता ने शिकायत दर्ज कर हिंदुत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े पर इस हमले के साज़िशकर्ता होने का आरोप लगाया था. घटना के क़रीब तीन साल बाद उन्हें इस मामले की सुनवाई की कोई उम्मीद नहीं दिखती.
महाराष्ट्र के एक सामाजिक संगठन ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच कर रहे आयोग के सदस्यों से एनसीपी प्रमुख शरद पवार को तलब करने की मांग की थी.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे लिखे पत्र में एनसीपी नेता और विधायक धनंजय मुंडे ने दावा किया कि राज्य की पिछली देवेंद्र फड़णवीस सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत भीमा-कोरेगांव घटनाक्रम में शामिल लोगों के खिलाफ ‘झूठे’ मामले दर्ज किए थे.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को चार्जशीट दायर करने के लिए अतिरिक्त समय देने से इनकार किया था. शीर्ष अदालत ने उसे ख़ारिज कर दिया और कहा कि अब जब चार्जशीट दायर हो चुकी है, तो मामले में गिरफ़्तार पांच कार्यकर्ता नियमित ज़मानत की मांग कर सकते हैं.
एल्गार परिषद/भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने तेलतुम्बड़े को 14 और 18 फरवरी को जांच अधिकारियों के सामने पेश होने का आदेश दिया.