जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के हैदरपोरा में बीते 15 नवंबर को हुए एनकाउंटर में मोहम्मद आमिर मागरे और तीन अन्य की मौत हो गई थी. पुलिस इनके आतंकी या उनका सहयोगी होने का दावा कर रही है. लेकिन पीड़ित परिवार का कहना है कि वे निर्दोष थे. पुलिस ने बीते नवंबर महीने में ही इस एनकाउंटर में मारे गए दो आम नागरिकों के शव उनके परिजनों को लौटा चुकी है.
भाजपा महासचिव अशोक कौल ने कहा कि जब आम आदमी बिना किसी डर के मुक्त रूप से घूमने लगेगा तो केंद्रशासित प्रदेश के राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. इस बयान की निंदा करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि निशाना बनाकर की गईं हत्याएं केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन की ‘सामूहिक विफलता’ को दर्शाती हैं.
बीते 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान दो संदिग्ध आतंकियों के साथ ही दो नागरिकों की भी मौत हुई थी. अधिकारियों ने बताया कि दफनाए दिए गए इन शवों को बृहस्पतिवार को अधिकारियों ने बाहर निकाला था ताकि उन्हें उनके परिवार को सौंपा जा सके. कोविड-19 महामारी के बाद यह पहला मौका है, जब पुलिस की निगरानी में दफनाए गए शवों को वापस निकाल कर उनके परिजन को लौटाया गया.
बीते 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान दो संदिग्ध आतंकियों के साथ ही दो नागरिकों की भी मौत हुई थी. पुलिस ने आतंकियों का सहयोगी बताया था, वहीं इनके परिवारों का कहना है कि वे आम नागरिक थे. चार में से तीन के परिजनों द्वारा प्रदर्शनों के बीच मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं.
बीते 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान दो संदिग्ध आतंकियों के साथ ही दो नागरिकों की भी मौत हुई थी. इनमें से एक व्यापारी मालिक मोहम्मद अल्ताफ़ भट और दूसरे दंत चिकित्सक डॉ. मुदस्सिर गुल शामिल हैं. पुलिस ने आतंकियों का सहयोगी बताते हुए दोनों लोगों के शवों को दफ़ना दिया है, जबकि परिजनों का कहना है कि वे आम नागरिक थे और उनके शवों का वापस करने की मांग की है.
बीते 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान दो संदिग्ध आतंकियों की मौत के साथ ही दो नागरिकों की भी मौत हुई थी. इनमें से एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के मालिक मोहम्मद अल्ताफ भट और दूसरे दंत चिकित्सक डॉ. मुदसिर गुल शामिल हैं. पुलिस ने दोनों को आतंकियों का सहयोगी होने का दावा किया है, जबकि इनके परिवारों का आरोप है कि सुरक्षा बलों ने इनका इस्तेमाल ‘मानव ढाल’ के तौर
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने कहा कि क़रीब 500 या इससे अधिक लोगों ने बडगाम, अनंतनाग और पुलवामा जैसे इलाकों को छोड़कर जाना शुरू कर दिया है. कुछ ग़ैर कश्मीरी पंडित परिवार भी चले गए हैं. यह साल 1990 का दोहराव है. इस संबंध में हमने जून में उपराज्यपाल कार्यालय से मिलने का अनुरोध किया था, लेकिन अब तक वक़्त नहीं दिया गया. जम्मू कश्मीर में बीते छह दिनों में सात नागरिकों की हत्या हुई है.
जम्मू कश्मीर में बीते पांच दिनों सात नागरिकों की हत्या हुई है, जिनमें से छह श्रीनगर में हुईं. मृतकों में से चार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, आतंकवादियों ने 2021 में अब तक 28 नागरिकों की हत्या की है. अभी तक 97 आतंकवादी हमले हुए हैं, जिनमें 71 सुरक्षा बलों पर और 26 नागरिकों पर हुए हैं.
पिछले तीन दिनों में कश्मीर में नागरिकों की हत्या की यह पांचवीं घटना है, जिनमें से चार श्रीनगर में ही हुईं. बीते पांच अक्टूबर को जम्मू कश्मीर में संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा एक प्रमुख कश्मीरी पंडित व्यवसायी पेशे से केमिस्ट माखन लाल बिंद्रू सहित तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी.
ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर की अगुवाई में मणिपुर प्रेस क्लब में विरोध प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों ने फ्रीडम ऑफ प्रेस की मांग की. उग्रवादी संगठन का नाम बताने से इनकार करते हुए मीडिया समूहों ने कहा कि यह उनके आंतरिक संघर्ष का नतीजा है.
जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद हिरासत में लिए गए घाटी के 285 लोगों को उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में रखा गया है. आगरा के केंद्रीय कारागार के 1933 कैदियों में 85 कश्मीर घाटी से लाए गए कैदी हैं. हालांकि, आगरा के केंद्रीय कारागार की कुल स्वीकृत क्षमता केवल 1,350 है.
जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के एक महीने बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि अगर कुछ प्रतिबंधों से आप किसी की ज़िंदगी बचा सकते हैं तो उससे अच्छा क्या हो सकता है? लोग ज़िंदगी के साथ स्वतंत्रता की बात कहते हैं लेकिन मैं कहता हूं कि ज़िंदगी पहले आती है, स्वतंत्रता बाद में.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी कश्मीर के कुछ गांवों में ग्रामीणों ने सुरक्षा बलों पर मारपीट और गंभीर रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं. भारतीय सेना का कहना है कि उन्हें ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है.
जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि हमारी कोशिशों के बावजूद कुछ युवा आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हुए और कुछ मारे भी गए. हमें इस पर दुख और अफ़सोस है. हम हिंसा के माहौल में हैं और हिंसा, हिंसा को जन्म देती है.
अपुष्ट सूचनाओं के मुताबिक अपहृत रिश्तेदारों की संख्या 11 हो गई है. हालांकि पुलिस का कहना है कि वह इन मामलों की पुष्टि करने की कोशिश कर रही है.