किसानों यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और महासंघों के संयुक्त मंच ने 26 नवंबर से देशव्यापी तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. किसानों का कहना है कि उनके द्वारा तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को रद्द कराए हुए तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन उस समय की उनकी कई मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं.
प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने 2024-25 विपणन सत्र के लिए गेहूं और पांच अन्य रबी फसलों - जौ, चना, मसूर, रैपसीड-सरसों और कुसुम के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की घोषणा की. सबसे अधिक एमएसपी वृद्धि मसूर के लिए स्वीकृत की गई है, जो 425 रुपये प्रति क्विंटल है.
वीडियो: किसान नेता राकेश टिकैत ने द वायर से एक इंटरव्यू के दौरान पिछले 10 वर्षों की कृषि नीतियों और भारतीय किसानों की वर्तमान स्थिति, चीनी निर्यात पर प्रतिबंध और नए कॉरपोरेट ख़तरों को लेकर बातचीत की.
वीडियो: बीते 6 जून को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में सूरजमुखी के बीजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं ख़रीदने के सरकार के फैसले के विरोध में किसानों के आंदोलन को बर्बरतापूर्वक ख़त्म करा दिया था. पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज करने के साथ उन्हें तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था. साथ ही किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत 100 अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया है.
केंद्र सरकार द्वारा 2023-24 के खरीफ़ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा के बाद कांग्रेस ने दावा किया कि किसानों को सम्मानजनक रूप से जो मिलना चाहिए, उससे एमएसपी न केवल बहुत कम है, बल्कि सरकार ने इस मामूली कीमत पर भी बहुत सीमित ख़रीददारी की है.
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में सूरजमुखी के बीजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदने के सरकार के फैसले का विरोध कर रहे किसानों पर बीते मंगलवार को पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था. संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन इस घटना की निंदा की है.
निरस्त किए जा चुके कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध का अगुवा रहा संयुक्त किसान मोर्चा न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी की मांग करता रहा है. मोर्चे के नेता दर्शन पाल ने हरियाणा में आयोजित किसान महापंचायत मे कहा कि देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाला जा रहा है और वे दिल्ली में 15-22 मार्च के बीच बड़ा प्रदर्शन करेंगे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय किसान संघ की ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘किसान गर्जना रैली’ का आयोजन किया गया. न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा किसानों ने कृषि गतिविधियों पर जीएसटी को वापस लेने, पीएम-किसान योजना के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता में वृद्धि और जीएम फसलों के व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति को ख़त्म करने की मांग की है.
वीडियो: लखीमपुर खीरी की घटना के एक साल पूरे होने के बाद राकेश टिकैत वहां पहुंचे थे. टिकैत ने सरकार को किसान और ग़रीब विरोधी बताया, साथ ही पीड़ित परिवारों के सामने आने वाली चुनौतियों, महंगाई, एमएसपी, चारे की कमी जैसे कई विषयों पर द वायर के लिए इंद्र शेखर सिंह से बात की.
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन अब वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बहस कर रही है कि किसानों को लागत के 50 प्रतिशत से अधिक एमएसपी की पेशकश बाजारों को विकृत कर देगी.
घटना पुणे की है, जहां जुन्नर तालुका के 45 वर्षीय किसान दशरथ लक्ष्मण केदारी ने सुसाइड नोट में किसानों की दुर्दशा की अनदेखी के लिए महाराष्ट्र सरकार और केंद्र को ज़िम्मेदार ठहराया है. नोट में केदारी ने फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य न मिलने और लोन रिकवरी एजेंटों द्वारा प्रताड़ित किए जाने की बात भी लिखी है.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर अपने उन उद्योगपति दोस्तों की मदद करने के लिए एमएसपी पर क़ानून नहीं बनाने का आरोप लगाया, जो कम दरों पर किसानों से फसल ख़रीदते हैं और उच्च कीमतों पर प्रसंस्कृत उत्पाद बेचते हैं.
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने की मांग का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि देश के किसानों को आप हरा नहीं सकते. उसके यहां ईडी, इनकम टैक्स वालों को नहीं भेज सकते. किसान लड़ेगा और एमएसपी लेकर रहेगा.
किसान यूनियनों ने अपनी मांगों के संबंध में भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए यह महापंचायत बुलाई है, जिसमें मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए क़ानूनी गारंटी और लखीमपुर खीरी हिंसा में आशीष मिश्रा की संलिप्तता को देखते हुए उनके पिता केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्ख़ास्त करने का मुद्दा शामिल है.
केंद्र सरकार ने सोमवार को फसलों के 'न्यूनतम समर्थन मूल्य' को लेकर एक 26 सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि केंद्र द्वारा गठित यह समिति किसानों के क़ानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने की बात नहीं करती है और निरस्त किए जा चुके कृषि क़ानूनों का समर्थन करने वाले तथाकथित किसान नेता इसके सदस्य हैं.