महाराष्ट्र के सरकारी कॉलेजों के रेज़िडेंट डॉक्टरों की मांगों में छात्रावासों की गुणवत्ता में सुधार करना, 7वें वेतन आयोग के अनुसार डीए, कोविड सेवा बकाया का भुगतान और सहायक तथा एसोसिएट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरना शामिल है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान न देकर इमरजेंसी सेवाओं को बंद करने पर विचार करने के लिए उन्हें मजबूर कर रही है.