नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल-1 की घटना के एक दिन बाद ही शनिवार को भारी बारिश के बीच गुजरात के राजकोट हवाई अड्डे के बाहर यात्री पिकअप और ड्रॉप क्षेत्र के एक ओर की छत (कैनोपी) ढह गई. इससे पहले जबलपुर एयरपोर्ट से भी ऐसी ही घटना सामने आई थी.
साल 2017 में सीबीआई ने एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल पर नागरिक उड्डयन मंत्री रहते हुए पद का दुरुपयोग कर बड़ी संख्या में विमान किराए पर देने का केस दर्ज किया था. अब महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में शामिल पटेल के ख़िलाफ़ इस मामले में क्लोज़र रिपोर्ट दाख़िल की गई है.
डिजी यात्रा योजना नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा एक ‘बायोमेट्रिक बोर्डिंग सिस्टम’ शुरू करने की एक पहल है, जो हवाई अड्डों पर यात्रियों के सत्यापन के लिए फेशियल रिकग्निशन सिस्टम का उपयोग करती है. डेटा सुरक्षा व्यवस्था के अभाव में इस तकनीक के उपयोग को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हवाईअड्डों और विमान में मास्क लगाने तथा हाथ धोने से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने वाले यात्रियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ मामला दर्ज होना चाहिए, बल्कि उन पर जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए.
दक्षिण अफ्रीकी मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष एंजेलिक कोएट्ज़ी ने कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रॉन के मरीज़ों में हल्के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि इसके गंभीर मामले भी आ सकते हैं.
संभावित रूप से अधिक संक्रामक कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन स्वरूप की जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ को पहली बार बीते 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका से दी गई थी. डब्ल्यूएचओ ने इस स्वरूप को ‘चिंताजनक प्रकार’ के रूप में नामित किया है. इससे पहले इस श्रेणी में कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप था, जिससे यूरोप और अमेरिका के कई हिस्सों में लोगों ने बड़े पैमाने पर जान गंवाई थी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक समिति ने कोरोना वायरस के नए स्वरूप को ‘ओमीक्रॉन’ नाम दिया है और इसे ‘बेहद संक्रामक चिंताजनक स्वरूप’ क़रार दिया है. इस वायरस की सबसे पहले जानकारी 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में मिली. इससे संक्रमण के मामले बोत्स्वाना, बेल्जियम, हांगकांग और इज़रायल में भी मिले हैं.
यह घोषणा ऐसे समय की गई है जब अंतरराष्ट्रीय उड़ानें कोविड-19 वायरस के नए वैरिएंट के कारण एक बार फिर अनिश्चितता का सामना कर रही हैं. कुछ देशों ने यात्रा प्रतिबंध भी लगाने शुरू कर दिए हैं. भारत आने-जाने वाली सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें कोविड-19 महामारी के कारण 23 मार्च, 2020 से ही बंद हैं. हालांकि, पिछले साल जुलाई से करीब 28 देशों के साथ हुए एयर बबल समझौते के तहत विशेष अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानें संचालित हो रही हैं.
सभी मंत्रालयों और विभागों को जारी आदेश में सरकार ने अब से केवल नकद में एयर इंडिया का टिकट ख़रीदने का भी निर्देश दिया है. सरकार ने इस महीने की शुरुआत में एयर इंडिया को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को 18,000 करोड़ रुपये में बेचने का फैसला किया था.
टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, जिसमें से 15,300 करोड़ रुपये का क़र्ज़ लेना और बाकी 2700 करोड़ रुपये का नकद भुगतान करना शामिल है. एयर इंडिया की स्थापना टाटा समूह ने 1932 में की थी, तब इसे टाटा एयरलाइंस कहा जाता था. साल 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण किया गया था.
भारत में छह प्रमुख घरेलू विमानन कंपनियां- इंडिगो, स्पाइसजेट, गोएयर, एयर एशिया इंडिया, एयर इंडिया और विस्तारा हैं, जिन पर एक अगस्त तक एएआई का कुल 2,562.04 करोड़ रुपये बकाया है. यह एक फरवरी के स्तर से लगभग 10 प्रतिशत अधिक है.
वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से 190 लोगों को लेकर एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान केरल के कोझिकोड आ रहा था, जब बारिश के बीच लैंडिंग के दौरान हवाईपट्टी पर फिसलने के बाद खाई में जा गिरा.
गृह मंत्रालय की ओर से स्पष्ट किया गया है कि उन्हें ही वापस लाया जाएगा, जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं होंगे. कहा गया है कि विमान और पोत द्वारा यात्रा का प्रबंध किया जाएगा और इसका ख़र्च यात्रियों को वहन करना होगा.
केंद्र सरकार ने बीते 27 जनवरी को क़र्ज़ में डूबी एयर इंडिया के 100 फीसदी शेयर बेचने की घोषणा कर दी है. 17 मार्च तक एयर इंडिया खरीदने के इच्छुक पक्षों से आवेदन मंगाए गए हैं. भारतीय मज़दूर संघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा संगठन है.
एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के तहत सरकार कंपनी की सस्ती विमानन सेवा ‘एयर इंडिया एक्सप्रेस’ में भी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी भी बेचेगी. बीते साल केंद्र की मोदी सरकार ने एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए निविदा जारी की थी, लेकिन किसी ने बोली ही नहीं लगाई थी.