जन गण मन की बात की 198वीं कड़ी में नीरव मोदी द्वारा अपनी सफ़ाई में लिखी गई चिट्ठी और राफेल डील पर चर्चा कर रहे हैं.
खेती-किसानी पर कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा से द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु की बातचीत.
जन गण मन की बात की 197वीं कड़ी में विनोद दुआ हीरा कारोबारी नीरव मोदी द्वारा अंजाम दिए गए 11 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा के घोटाले पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 196वीं कड़ी में विनोद दुआ हीरा कारोबारी नीरव मोदी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक में 11 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा के घोटाले पर चर्चा कर रहे हैं.
घोटाले में अरबपति हीरा कारोबारी नीरव मोदी का नाम सामने आया. 280 करोड़ की धोखाधड़ी के एक अन्य मामले में केस दर्ज कर प्रवर्तन निदेशालय ने शुरू की जांच. आभूषण कंपनियां गीतांजलि, गिन्नी और नक्षत्र जांच के घेरे में.
बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की ओर से किए गए प्रावधानों पर कृषि विशेषज्ञों को संदेह है. उनके अनुसार, न्यूनतम समर्थन मूल्य में इज़ाफ़ा काफ़ी नहीं, यह भी देखा जाना ज़रूरी है कि बहुत थोड़े किसानों की पहुंच एमएसपी तक है.
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इन राज्यों के आवंटन में क्रमश: 906 प्रतिशत, 1,173 प्रतिशत और 567 प्रतिशत का इज़ाफ़ा किया गया है.
मीडिया बोल की 35वीं कड़ी में उर्मिलेश बजट में स्वास्थ्य को लेकर किए गए वादों पर एनडीटीवी के पत्रकार हृदेश जोशी और अंबेडकर विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर दीपा सिन्हा से चर्चा कर रहे हैं.
शुरुआती अनुमान के अनुसार, केंद्र सरकार में कई हज़ार पद पांच साल या अधिक समय से खाली पड़े हैं.
नौजवानों को हिंदू मुस्लिम टॉपिक की गोली दे दो, वो अपनी जवानी बिना किसी कहानी के काट देगा.
केंद्रीय सूचना आयोग ने आरटीआई कानून के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय पर जुर्माना नहीं लगाया क्योंकि उसके अधिकारियों ने आरटीआई आवेदन का जवाब देने में देरी के लिए माफी मांग ली है.
साक्षात्कार: पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से नरेंद्र मोदी सरकार, जीएसटी, रॉबर्ट वाड्रा, कार्ति चिदंबरम, विपक्ष, गुजरात चुनाव समेत विविध विषयों पर विस्तृत बातचीत.
नोटबंदी से अमीरों का काला धन गरीबों को देने का प्रधानमंत्री मोदी का महान वादा एक डरावने मज़ाक में बदल चुका है क्योंकि पिछले साल भर में देश के कमज़ोर तबके पर नोटबंदी की सबसे ज़्यादा मार पड़ी है.
केंद्र सरकार के 1.35 लाख करोड़ मूल्य के सरकारी बॉन्डों के रूप में बैंकों को अतिरिक्त पूंजी देने के फैसले का मतलब है कि करदाताओं के पैसों से बैंकों और बकायेदार कॉरपोरेट समूहों को उबारा जा रहा है.
डूबती अर्थव्यवस्था को लेकर कई भाजपा नेता लगातार वित्त मंत्री पर हमला कर रहे हैं, लेकिन जिन आर्थिक फैसलों से यह स्थिति आई है, उन्हें लेने में प्रधानमंत्री की भूमिका पर एक चुप्पी छाई हुई है.