केंद्र सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया है. यूएपीए के तहत एक बार किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा 30 दिनों के भीतर यह देखने के लिए एक न्यायाधिकरण गठन किया जाता है कि संगठन को ग़ैर क़ानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त आधार है या नहीं.
राजद सांसद मनोज झा को 23 अक्टूबर को लाहौर में पाकिस्तान की जानी-मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता अस्मा जहांगीर की याद में होने वाले कार्यक्रम में बुलाया गया था. झा ने उनका आवेदन को ख़ारिज होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि गृह मंत्रालय से मंज़ूरी मिल चुकी थी, लेकिन विदेश मंत्रालय ने राजनीतिक स्वीकृति नहीं दी.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ का एक अध्ययन बताता है कि वर्ष 2009 से 2022 के बीच एनआईए ने यूएपीए के कुल 357 मामले दर्ज किए. इनमें से 238 मामलों की जांच में पाया गया कि 36 फीसदी में आतंकवाद की कुछ घटनाएं हुई थीं, पर 64 फीसदी मामलों में ऐसी कोई विशेष घटना नहीं हुई जिनमें हथियार शामिल थे.
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल ही में प्रतिबंधित किए गए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ पिछले कुछ वर्षों में 1,400 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
बीते दिनों देशभर में पीएफआई दफ्तरों पर पड़े छापों और सैकड़ों कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यूएपीए के तहत इस पर प्रतिबंध लगाते हुए दावा किया है कि वे 'देश में असुरक्षा होने की भावना फैलाकर एक समुदाय में कट्टरता को बढ़ाने के मक़सद' से गुप्त रूप से काम कर रहे हैं.
मिज़ोरम के सत्तारूढ़ दल मिज़ो नेशनल फ्रंट से राज्यसभा सांसद के. वनलालवेना ने बताया कि फरवरी 2021 में म्यांमार में तख़्तापलट होने के बाद से राज्य सरकार ने लगभग तीस हज़ार शरणार्थियों को पंजीकृत किया है. हालांकि कई शरणार्थी अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ रह रहे हैं, इसलिए उनका पंजीकरण नहीं हुआ है.
गुजरात में इशरत जहां की कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ के मामले की जांच में सीबीआई की मदद करने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को बीते 30 अगस्त को उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बर्ख़ास्त कर दिया गया है. उन्होंने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
देश में बढ़ती असहिष्णुता का हवाला देकर वर्ष 2019 में सरकारी सेवा से इस्तीफ़ा के बाद अपना राजनीतिक दल बनाने वाले कश्मीरी आईएएस अधिकारी शाह फ़ैसल ने पिछले दिनों नौकरशाही में वापस आने के संकेत दिए थे. इस दौरान वे कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गईं योजनाओं की लगातार सराहना करते देखे जा रहे थे.
इससे पहले तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी. स्वतंत्र भारत के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसके तहत सरकार 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रही है, जिसके मद्देनज़र लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए यह क़दम उठाया गया है.
केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 से 2021 के दौरान नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या 3,92,643 थी. इसमें वर्ष 2019 में 1,44,017 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी, जबकि 2020 में 85,256 और वर्ष 2021 में 1,63,370 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी.
गृह मंत्रालय ने अपनी विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम वेबसाइट से वो डेटा हटा दिया है, जिसमें एनजीओ के वार्षिक रिटर्न और उन एनजीओ की सूची शामिल है जिनके लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं. मंत्रालय ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि ये डेटा जनता के देखने के लिए 'गैर-ज़रूरी' माना गया था.
त्रिपुरा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को मुकेश अंबानी, उनकी पत्नी एवं बच्चों को ख़तरे की आशंका और आकलन के संबंध में गृह मंत्रालय के पास रखी वह मूल फाइल पेश करने का निर्देश दिया था, जिसके आधार पर उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई थी. सरकार की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि महाराष्ट्र सरकार की सिफ़ारिश पर केंद्र द्वारा अंबानी परिवार को सुरक्षा मुहैया कराए जाने से त्रिपुरा
अकाल तख़्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से ‘ज़ेड’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान किए जाने की पेशकश ठुकराते हुए कहा कि इससे सिख धर्म के प्रसार के लिए लोगों के साथ उनकी मुलाकात में बाधा आएगी. पंजाब में बीते 29 मई को गायक सिद्धू मूसेवाला की अज्ञात बदमाशों ने गोलीमार हत्या कर दी थी. यह घटना गायक को मिली सुरक्षा पंजाब सरकार द्वारा वापस लेने के एक दिन बाद हुई थी.
सीबीआई के अनुसार, गृह मंत्रालय के एफ़सीआरए डिवीज़न के कुछ अधिकारियों ने विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रमोटरों/प्रतिनिधियों, बिचौलियों के साथ साज़िश में निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद दान प्राप्त करना जारी रखने के उद्देश्य से इन संगठनों को पिछले दरवाजे से एफसीआरए पंजीकरण/नवीनीकरण प्राप्त कराने की भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त थे.
गृह मंत्रालय की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 1990 के दशक से 2020 के बीच जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के कारण 14,091 नागरिकों और सुरक्षा बल के 5,356 जवानों की जान गई. कश्मीरी पंडितों के अलावा, आतंकवाद की वजह से कुछ सिख और मुस्लिम परिवारों को भी घाटी से जम्मू, दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा.