ओडिशा के कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उल्का ने लोकसभा में सवाल पूछा था कि केंद्र सरकार और उपयुक्त अधिकरणों के पास अनुसूचित जनजाति के दर्जे के कितने अनुरोध लंबित हैं. इस पर जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने सरकार के पास लंबित ऐसे अनुरोधों की संख्या बताने से इनकार कर दिया.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर गठित संसदीय समिति ने पाया है कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग पिछले चार वर्षों से निष्क्रिय रहा है और संसद में उसने एक भी रिपोर्ट पेश नहीं की है.
केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया गया. जबकि 20 करोड़ विमुक्त और घुमंतू जनजातियों की कोई फ़िक्र किसी भी राजनीतिक दल और सरकार को नहीं है.