इस समय इरादा मुसलमानों से जुड़ी हर जगह को संदिग्ध बनाने का है. उसका तरीक़ा है उन्हें विवादित बनाना. एक बार कुछ भी विवादित हो जाए तो उसमें दूसरा पक्ष जायज़ हो जाता है, जैसे बाबरी मस्जिद को विवादित बनाकर अब संघ के संगठन एक जायज़ पक्षकार बन बैठे हैं.
भाजपा नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हिंदू जो राष्ट्रव्यापी आंकड़ों के अनुसार एक बहुसंख्यक समुदाय है, पूर्वोत्तर के कई राज्यों और जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक है. हिंदू समुदाय उन लाभों से वंचित है जो कि इन राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए मौजूद हैं. अल्पसंख्यक आयोग को इस संदर्भ में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द की परिभाषा पर पुन: विचार करना चाहिए.
सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह ने बताया कि गुजरात दंगों के समय स्थिति संभालने पहुंचे सेना के दल को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध के बावजूद प्रशासन द्वारा समय पर ज़रूरी सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई गई थीं. अगर सेना को सही समय पर गाड़ियां मिल गई होतीं, तो नुकसान बेहद कम होता.
वे सभी लोग जो नए कलेवर में प्रस्तुत संघ को लेकर प्रसन्न हो रहे हैं, उन्हें यह जानना होगा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब संघ इस क़वायद में जुटा है. उन्हें 1977 के अख़बारों को पलट कर देखना चाहिए जब यह बात फैलाई जा रही थी कि संघ अब अपनी कतारों में मुसलमानों को भी शामिल करेगा. लेकिन यह शिगूफ़ा साबित हुआ.
संघ प्रमुख के हालिया बयानों की गंभीरता और विश्वसनीयता को इस कसौटी पर परखा जाना चाहिए कि आरएसएस से संबद्ध संगठन अपना आगामी चुनाव अभियान किस तरह से चलाते हैं.
संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति नाम के संगठन ने खुले में नमाज़ पढ़ने से लोगों को रोका. समिति में बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना, हिंदू जागरण मंत्र जैसे 12 संगठन शामिल हैं.
साक्षात्कार: आईआईटी के 50 पूर्व और मौजूदा छात्रों द्वारा बनाए गए बहुजन आज़ाद पार्टी के संस्थापक सदस्य विक्रांत वत्सल से प्रशांत कनौजिया की बातचीत.
गोरखपुर से ग्राउंड रिपोर्ट: लगातार जीत से अति-आत्मविश्वास की शिकार भाजपा के लिए यह उपचुनाव आसान नहीं रह गया है. दोनों उपचुनाव शुरू से ही पार्टी के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं क्योंकि यहां के प्रतिकूल परिणाम उसे बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के नाम लिखे इस पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने मुसलमानों के साथ होने वाले रोज़मर्रा के भेदभाव की तरफ इशारा किया है.
कभी हाशिये पर रही हिंदुत्व की राजनीति आज मुख्यधारा की राजनीति बन चुकी है. संघ के लिए इससे बड़ी सफलता भला और क्या हो सकती है कि देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां नरम/गरम हिंदुत्व के नाम पर प्रतिस्पर्धा करने लगें.
नरेंद्र मोदी सरकार कई अहम मोर्चों, मसलन रोज़गार और निवेश पर नाकाम रही है. जैसा कि हमने उत्तर प्रदेश और अब गुजरात में देखा, जब बाकी सारी चीज़ें चुक जाती हैं, तब हिंदुत्व काम आता है.
बीरभूम में टीएमसी के ज़िलाध्यक्ष ने कहा कि राज्य में इमामों-मुअज्जिनों को सरकार की ओर से भत्ता मिलता है. इस सूची में पुजारियों को शामिल कर संतुलन बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
जन्मदिन विशेष: इस सियासी उथल-पुथल में एक बुजुर्ग की हैसियत से मुझे ख़ौफ़ लगता है कि कहीं हिंदुस्तान में ज़बान, तहज़ीब और मज़हब के आधार पर कई हिंदुस्तान बन जाएं. यह बहुत अफ़सोसनाक होगा.
सिटीज़न फॉर जस्टिस एंड पीस की संस्थापक तीस्ता सीतलवाड़ का कहना है कि उनका संगठन आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के साथ कानूनी संसाधन प्लेटफॉर्म के रूप में भी काम करेगा.
दिल्ली भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि इन राज्यों में अल्पसंख्यक होने के बावजूद हिंदुओं को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है.