बीते 25 मई को अनंतनाग-राजौरी सीट पर मतदान के दिन पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने पुलिस द्वारा अकारण ही उनकी पार्टी के पोलिंग एजेंट और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया था.
चुनाव आयोग ने एक मीडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव को 1 मई रात 8 बजे से 48 घंटे के लिए चुनाव प्रचार से रोक दिया है.
महाराष्ट्र सरकार ने मार्च की शुरुआत में 21 सहकारी चीनी मिलों के लिए गारंटर बनने पर सहमति व्यक्त की और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) से ऋण के लिए उनके नामों की सिफारिश की. इनमें से 15 मिलों का प्रबंधन सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं या उन लोगों द्वारा किया जाता है जिन्होंने हाल ही में भाजपा के साथ समझौता किया है.
भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या, पीसी मोहन और शोभा करंदलाजे ने नागरथपेटे में एक विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, जो बीते 17 मार्च की एक घटना को लेकर था. सांसदों का आरोप है कि अज़ान के दौरान हनुमान चालीसा बजाने पर एक हिंदू दुकानदार पर हमला किया गया, जबकि स्थानीय भाजपा विधायक ने घटना के सांप्रदायिक होने से इनकार कर दिया था.
देश और विदेश में लोगों को वॉट्सऐप पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पत्र के साथ कई सरकारी योजनाओं को सूचीबद्ध करने वाले संदेश प्राप्त हुए हैं और जनता से विचार और सुझाव मांगे गए हैं. कांग्रेस ने इसे लेकर केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि ये संदेश आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हैं. वहीं, टीएमसी ने पीएम मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है.
चुनाव आयोग अपनी नई एडवाइज़री को लेकर वास्तव में गंभीर है तो उसका स्वागत किया जा सकता है. इसके बावजूद इस जवाब की दरकार रहेगी कि इस बार इसके अनुपालन के लिए उसने कौन-सी नई व्यवस्था बनाई है जिनसे आश्वस्त हुआ जा सके कि पिछली बार की तरह इस बार कोई पक्षपात नहीं किया जाएगा?
बीते दिनों केंद्र सरकार द्वारा सभी मंत्रालयों को जारी एक सर्कुलर में कहा गया था कि वे देश के सभी ज़िलों से ऐसे सरकारी अधिकारियों के नाम दें, जिन्हें मोदी सरकार की 'पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों को दिखाने/जश्न मनाने' के एक अभियान में 'ज़िला रथ प्रभारी (विशेष अधिकारी)' के तौर पर तैनात किया जा सके.
साल 2013 में लखनऊ के एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से उस याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा था, जिसमें कहा गया था कि उसे उन राजनीतिक दलों पर रोक लगानी चाहिए, जो जाति और धार्मिक आधार पर सभाएं करते हैं. नई दिल्ली: बीते महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर एक जवाबी हलफनामे में चुनाव आयोग ने गैर-चुनाव अवधि के दौरान अधिकार क्षेत्र की कमी और आदर्श आचार संहिता के बाहर
दिल्ली के राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावों की तारीख़ों की घोषणा के साथ राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार से आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. चुनाव से पहले एक ऐप ‘दिल्ली निगम चुनाव’ लॉन्च किया गया है, जिसमें उपयोगकर्ता आचार संहिता उल्लंघन के ख़िलाफ़ शिकायत कर सकते हैं.
निर्वाचन आयोग की ओर से गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीख़ों की घोषणा नहीं की गई. गुजरात विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 18 फरवरी को समाप्त हो रहा है. वहीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल आठ जनवरी को समाप्त होगा.
निर्वाचन आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को लिखे एक पत्र में कहा है कि वह चुनावी वादों पर अपर्याप्त सूचना और वित्तीय स्थिति पर अवांछित प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकता है, क्योंकि खोखले चुनावी वादों के दूरगामी प्रभाव होंगे. सिब्बल के साथ माकपा ने भी इसकी आलोचना की है.
अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी और एक ‘न्यूज़ लाइव’ समाचार चैनल द्वारा मई 2019 में हिमंता बिस्वा शर्मा के ख़िलाफ़ यह मामला दर्ज किया गया था. शर्मा उस समय असम में सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे. उन पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था. उनकी पत्नी ‘न्यूज़ लाइव’ की अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक हैं.
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा जांचे गए आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को भारतीय शिक्षा बोर्ड के गठन की मंज़ूरी के लिए पूरी प्रक्रिया को दो महीने में पूरा कर लिया गया था ताकि 2019 के लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ घंटे पहले इसे स्वीकृति मिल जाए.
पुदुचेरी में भाजपा द्वारा आधार के ज़रिये मतदाताओं के मोबाइल नंबर एकत्र करने के मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को इसे आचार संहिता के उल्लंघन के तौर पर लेना चाहिए और पार्टी के ख़िलाफ़ अलग से आपराधिक जांच करनी चाहिए. कोर्ट ने यूआईडीएआई से भी जवाब तलब किया है.
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को दी गई शिकायत में आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल और अन्य चुनावी राज्यों में को-विन प्लेटफॉर्म के ज़रिये प्राप्त किए जाने वाले कोविड-19 टीकाकरण प्रमाण-पत्र पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर होना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है.