कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने एक साक्षात्कार में कहा कि संस्थानों को नियंत्रित, कमज़ोर किया जा रहा है या उन पर कब्ज़ा कर लिया गया है. भले ही हमारे पास लोकतंत्र का कवच है, लेकिन भीतर से यह कवच खोखला हो चुका है.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने दावा किया कि उन्हें और उनकी पार्टी के एक और सदस्य सुशील गुप्ता को भाजपा शासित गुजरात में ज़हरीली शराब के कारण कई लोगों की मौत का मुद्दा सदन में उठाने के लिए निलंबित कर दिया गया. पाठक ने आरोप लगाया कि ज़हरीली शराब के कारण अब तक 75 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. सरकार वास्तविक आंकडों को छुपा रही है.
वीडियो: मानसून सत्र के दौरान पूरा विपक्ष सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहा है जिसमें महंगाई भी एक अहम मुद्दा है. आरबीआई, चुनाव आयोग, सीबीआई जैसे कई और मसलों पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले लोकसभा सचिवालय ने ‘असंसदीय शब्द 2021’ शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है, जिन्हें ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखा गया है. इस क़दम पर विपक्ष ने कहा है कि मोदी सरकार की सच्चाई बताने वाले सभी शब्द अब ‘असंसदीय’ माने जाएंगे.
जुलाई 2021 में महाराष्ट्र विधानसभा के पीठासीन अधिकारी के साथ कथित दुर्व्यवहार करने पर भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने उनके पक्ष में फ़ैसला देते हुए कहा कि विधानसभा सत्र से परे विधायकों को निलंबित नहीं किया जा सकता.
संसद के मानसून सत्र के आख़िरी दिन 11 अगस्त को सदन के भीतर सचिवालय के कर्मचारियों से दुर्व्यवहार करने के आरोप में राज्यसभा के 12 सांसदों को संसद के शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया था. इन 12 सांसदों में कांग्रेस के छह, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना के दो-दो तथा सीपीआई और सीपीआईएम के एक-एक सदस्य शामिल हैं.
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए भाकियू नेता राकेश टिकैत ने युवाओं से भूमि, फसल और आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की. उन्होंने कहा कि देश को युवाओं द्वारा क्रांति की ज़रूरत है.
वीडियो: केंद्र सरकार के विवादास्पद कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के तहत किसान संगठनों ने बीते 27 सितंबर को देशव्यापी भारत बंद का आयोजन किया था. इसे लेकर स्वतंत्र कृषि-नीति विश्लेषक इंद्र शेखर सिंह से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने बातचीत की.
वीडियो: कृषि क़ानूनों के खि़लाफ़ बीते 27 सितंबर को भारत बंद के दौरान राजस्थान-हरियाणा सीमा पर स्थित शाहजहांपुर में मौजूद किसानों से द वायर के इंद्र शेखर सिंह ने आंदोलन की चुनौतियों और बाधाओं पर बातचीत की.
तीन विवादित कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने इस प्रदर्शन के 10 महीने पूरे होने और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के इन क़ानूनों पर मुहर लगाने के एक साल पूरा होने के मौके पर ‘भारत बंद’ का आयोजन किया था.
दिल्ली की सीमाओं पर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन की अगुवाई रह रहे संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से देश की खाद्य एवं कृषि प्रणाली पर उद्योग घरानों के क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ विरोध दर्ज करा रहे हैं. उनकी मांगें स्पष्ट हैं, जिसकी जानकारी मोदी सरकार को है और जो हठपूर्वक किसानों की जायज़ मांगों को नहीं मानने पर अड़ी है.
यूपी के बहराइच से भाजपा सांसद अक्षयवर लाल गोंड ने कहा कि जो लोग कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं, वे किसान नहीं हैं, बल्कि 'सिखिस्तान' और 'पाकिस्तान' समर्थित राजनीतिक दलों के लोग हैं. इससे पहले सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी किसानों के विरोध-प्रदर्शन को 'प्रायोजित' बताया था.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में बताया कि देश में 3,500 लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक हैं और 63 ज़िलों में एक भी ब्लड बैंक नहीं है. उन्होंने कहा कि अनेक प्रशासनिक कारणों से राज्य सरकारें समय-समय पर नए ज़िले बनाती हैं. हालांकि ऐसे ज़िलों की रक्त संबंधी ज़रूरतों को पास के ज़िलों की ब्लड बैंक से पूरा किया जाता है.
केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में बताया कि साल 2019 से इस साल 23 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित कुल 3,036 जनहित याचिकाएं दायर की गईं. देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित दायर मामलों में ओडिशा सबसे आगे है, जहां इस अवधि में कुल 1,552 याचिकाएं दायर की गई हैं.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतें दर्ज करने के लिए ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन तंत्र विकसित किया है, जिसे शी-बॉक्स कहा जाता है. राज्यसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार इसमें विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से ऐसी 391 शिकायतें मिली हैं, जिनमें से 150 एक जनवरी 2020 से अब तक की हैं.