वीडियो: संसद के मानसून सत्र से पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने द वायर से ख़ास बातचीत में बताया कि किसान हार नहीं मानेंगे और आने वाले मानसून सत्र में किसान संसद का घेराव करने जा रहे हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा भाकियू प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी को उनके एक बयान को लेकर निलंबित किया है. चढूनी ने कहा था कि किसान आंदोलन में शामिल पंजाब के किसान संगठनों को विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए. एसकेएम का कहना है वे कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं, राजनीति नहीं कर रहे.
बीते 11 जुलाई को प्रदर्शनकारी किसानों ने हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा की कार पर कथित तौर पर हमला कर दिया था जिससे उसका शीशा टूट गया था. संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता दर्शन पाल ने कहा कि गाड़ी का शीशा टूटने पर राजद्रोह और हत्या के आरोप को कैसे न्यायोचित ठहराया जा सकता है.
संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि इस दौरान संसद के बाहर केंद्र के तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ रोज़ क़रीब किसानों का एक समूह प्रदर्शन करेगा. साथ ही सत्र शुरू होने के दो दिन पहले सदन में क़ानूनों का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी सांसदों को चेतावनी पत्र दिया जाएगा.
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर बीते 30 जून को ग़ाज़ीपुर प्रदर्शन स्थल के पास भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के बीच झड़प हुई थी. भारतीय किसान यूनियन की ओर से कहा गया है कि यह शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने का प्रयास है. दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की गई तो किसान राज्यभर के थानों पर धरना देंगे. किसानों ने भी कथित भाजपा समर्थकों के एक समूह के ख़िलाफ़ इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है.
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर बुधवार को ग़ाज़ीपुर प्रदर्शन स्थल के पास भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के बीच झड़प हुई थी. भाकियू नेता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि यह प्रकरण सात महीने पुराने विरोध को दबाने के लिए भाजपा और आरएसएस की साज़िश है.
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के बीच हुई झड़प के बाद किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह तीन विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कुचलने और इसे बदनाम करने की केंद्र सरकार की एक और साज़िश है.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों का नेतृत्व कर रहे संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने बीते 26 जून को प्रदर्शन के सात महीने पूरे होने पर मार्च निकाला था. इस दौरान चंडीगढ़ पुलिस ने कई आरोपों में तमाम किसानों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए हैं.
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान बहुत से प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर चलाते हुए लाल किले तक पहुंच गए थे और वहां एक धार्मिक झंडा लगा दिया था. इस संबंध में पुलिस ने अमृतसर से 21 वर्षीय किसान गुरजोत सिंह को गिरफ़्तार किया है.
केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लगभग सात महीनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. 40 यूनियनों के प्रधान संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सिंघू, टिकरी और गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसान 26 जून को ‘कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस’ के रूप में मनाएंगे.
केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते छह महीनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. 40 यूनियनों के प्रधान संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि केंद्र सरकार प्रदर्शनकारियों को बदनाम करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रही है. हालांकि उनकी नीति इस बार भी नाकाम होगी.
सरकारी दस्तावेज़ों से पता चलता है कि खरीफ 2020-21 सीजन में सरकार ने 51.91 लाख टन दालें एवं तिलहन खरीदने की योजना बनाई थी, लेकिन इसमें से महज 3.08 लाख टन खरीद हुई है. इसके लिए 10.60 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन 1.67 लाख को ही लाभ मिला है.
केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते छह महीनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हुई है, लेकिन गतिरोध बना हुआ है. किसान संगठन तीनों नए कृषि क़ानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले क़ानून की अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं.
ऐसा कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के चलते प्रदर्शन स्थलों पर किसानों की संख्या कम होती जा रही है. हालांकि किसानों का दावा है कि संक्रमण का असर सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमा पर लगभग नहीं के बराबर था. एक किसान नेता ने आरोप लगाया कि सरकार की अकर्मण्यता के कारण गांवों में कोरोना फैला है. अगर किसान कोरोना फैलाता तो सीमाओं पर संक्रमण फैलता.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार चाहती है कि आंदोलन का केंद्रबिंदु दिल्ली की सीमाओं से हरियाणा में स्थानांतरित किया जाए, लेकिन हम दिल्ली की सीमा को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने कहा कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं, आंदोलन जारी रहेगा.