वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान वडोदरा शहर में स्थित बेस्ट बेकरी पर भीड़ के हमले में 14 लोग मारे गए थे. इनमें से ज़्यादातर मुस्लिम थे, जिन्होंने अंदर शरण ली हुई थी. मुंबई की निचली अदालत ने हर्षद सोलंकी और मफत गोहिल को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन यह साबित करने में असफल रहा कि दोनों दंगाई भीड़ का हिस्सा थे.
साल 2015 में पानी की नियमित सप्लाई की मांग को लेकर कुछ महिलाएं मुंबई में प्रदर्शन कर रही थीं. इन्हें ट्रैफिक रोकने के आरोप में हिरासत में ले लिया गया था. इनमें से दो वरिष्ठ नागरिक हैं. अदालत ने कहा कि पुलिस के पास इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का कोई कारण नहीं था.
यह घटना साल 2018 की है. मुंबई की विशेष अदालत ने कहा कि घटना के समय पीड़ित की उम्र 13 साल थी और वह नियमित तौर पर बेस्ट बस से स्कूल जाती थी. उस समय आरोपी की उम्र 54 साल थी और उसने बच्ची से ऐसे शब्द कहे, जिससे उसके मन में इतना डर पैदा हो गया कि उसने बस से स्कूल जाने से इनकार कर दिया. इस तरह की घटनाएं बच्चियों के विकास में बाधा डालती हैं.
नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन ने अदालत में अंतरिम जमानत याचिका दायर करते हुए कहा था कि वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं और इस वजह से उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा अधिक है.