सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा हत्या के दो आरोपियों को दी गई अग्रिम ज़मानत के आदेश को रद्द करते हुए की. शीर्ष अदालत ने कहा कि अपराध गंभीर प्रकृति का है, जिसमें एक व्यक्ति की हत्या की गई. प्राथमिकी और बयान संकेत देते हैं कि आरोपी की अपराध में विशेष भूमिका है.
अगर किसी के ख़िलाफ़ शक़ और नफ़रत समाज में भर दी जाए तो उस पर हिंसा आसान हो जाती है क्योंकि उसका एक कारण पहले से तैयार कर लिया गया होता है. आज हिंसा और हत्या की इस संस्कृति को समझना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है इसके पहले कि यह देश को पूरी तरह तबाह कर दे.
उत्तर प्रदेश पुलिस की बुनियादी गै़र क़ानूनी हरकत पर सवाल नहीं किया गया है. हम मान बैठे हैं कि पुलिस को कहीं भी, किसी भी वक़्त बेधड़क घुस जाने, किसी को, किसी भी अवस्था में उठा लेने का हक़ है. वह मारपीट कर सकती है, यह तो उसे सच उगलवाने के लिए करना ही पड़ता है: यही हमारी समझ है और इसलिए पुलिस कार्रवाई में कोई मारा जाए, इससे तब तक विचलित नहीं होते जब तक वह हमारा अपना न
आरोप है कि गोरखपुर में एक होटल में देर रात हुई चेकिंग के दौरान पुलिस द्वारा पीटे जाने के चलते कानपुर निवासी एक व्यवसायी की मौत हुई है. वहीं, पुलिस का दावा है कि नशे की हालत में ज़मीन पर गिरने से पीड़ित के सिर में चोट आई थी, जिसके चलते उनकी मौत हो गई.
मध्य प्रदेश के एक कांग्रेस नेता की हत्या के मामले में बसपा विधायक के पति को मिली ज़मानत ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसाधनों से युक्त और राजनीतिक रूप से ताक़तवर लोगों और न्याय तक पहुंच व संसाधनों से वंचित लोगों के लिए अलग-अलग समानांतर क़ानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती. ऐसी व्यवस्था क़ानून की वैधता को ही ख़त्म कर देगी.
हत्या के एक मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस का प्राथमिक कर्तव्य है कि वह अपराध की निष्पक्ष जांच करे. समाज में शांति एवं कानून का शासन बनाए रखने के संवैधानिक ज़िम्मेदारी के अलावा यह आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत क़ानूनी कार्य है.
मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले में राज्य वन विकास निगम के वन परिक्षेत्र बरहई में हुई घटना. हत्या के बाद वन कर्मचारियों ने सबूत मिटाने के लिए ग्रामीण का शव जला दिया.