खेड़ा जिले के उंधेला गांव में बीते तीन अक्टूबर को एक मस्जिद के पास गरबा आयोजित करने का विरोध करते हुए मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने कार्यक्रम स्थल पर कथित तौर पर पथराव किया था. इसके बाद सामने आए कुछ वीडियो दिखाते हैं कि पुलिस ने कुछ युवकों की सार्वजिनक रूप से पिटाई की थी.
कर्नाटक के बीदर स्थित महमूद गवां मदरसे में बीते पांच अक्टूबर को हुई घटना. मामला सामने आने के बाद पुलिस ने नौ लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने के बाद चार लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है.
मंदसौर ज़िले के सुरजानी गांव में पुलिस को दो गुटों के आपसी विवाद के बाद गरबा पंडाल में पथराव की घटना संबंधी सूचना मिली थी, जिसको लेकर 19 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया और तीन आरोपियों के 4.5 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के निर्माण को अवैध बताकर ढहा दिया गया.
मामला गुजरात के खेड़ा ज़िले का है. आरोप है कि मुस्लिम समुदाय मस्जिद के पास गरबा आयोजित करने का विरोध कर रहा था, जिसके चलते उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर पथराव कर दिया. बाद में पुलिस ने तीन संदिग्ध हमलावरों को गांव के चौराहे पर खड़ा करके सबके सामने लाठियों से पीटा. वहीं, सूरत में गरबा पंडाल के आयोजकों को इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने ग़ैर-हिंदुओं को काम पर रखा था.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में अहमदाबाद के कुछ गरबा स्थलों पर बजरंग दल के कार्यकर्ता मुस्लिम युवकों के साथ मारपीट और गली-गलौज करते दिख रहे हैं. कार्यकर्ताओं द्वारा मारपीट की बात स्वीकारने और ऐसे वीडियो जारी करने के बावजूद पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य के ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने के निर्णय पर भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि सभी मदरसों पर शक़ नहीं करना चाहिए, लेकिन सर्वेक्षण को लेकर बवाल करना खुद सवाल बन जाता है.
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नज़र है. मदरसा सर्वेक्षण के नाम पर क़ौम के चंदे पर चलने वाले निजी मदरसों में हस्तक्षेप का अनुचित प्रयास हो रहा है, जबकि सरकार को सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों के बदतर हाल को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए.
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है, जिसे लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि मदरसे साप्रंदायिक लोगों की आंखों में खटकते हैं और इन्हें बदनाम नहीं किया जाना चाहिए.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भाजपा नीत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मदरसों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने पर चिंता व्यक्त की है. संगठन ने आरोप लगाया कि आरएसएस से प्रभावित भाजपा की केंद्र और कुछ राज्यों की सरकारें अल्पसंख्यकों, ख़ासकर मुस्लिम समुदाय के प्रति नकारात्मक रुख़ अपना रही हैं.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि राज्य में अगर कोई इमाम बाहर से आता है तो लोगों को इस बारे में स्थानीय पुलिस को सूचना देनी होगी. शर्मा ने यह घोषणा कथित रूप से आतंकी संगठनों से जुड़े कुछ व्यक्तियों की गिरफ़्तारी के बाद की है, जिनमें कुछ मस्जिदों के इमाम और मदरसों के शिक्षक भी शामिल हैं.
देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की प्रबंधन समिति के सालाना अधिवेशन में महमूद मदनी ने कहा, 'हमारा मज़हब, लिबास, तहज़ीब, खाना-पीना भी अलग है. और अगर आपको हमारा मज़हब बर्दाश्त नहीं है, तो आप कहीं और चले जाएं. वो ज़रा-ज़रा सी बात पर कहते हैं कि पाकिस्तान जाओ, भइया तुम्हें मौक़ा नहीं मिलेगा पाकिस्तान जाने का, हमें मिला था, हमने रिजेक्ट किया है. इसलिए हम नहीं जाएंगे, जिसको भेजने का शौक़ है वो चला जाए.'
उत्तर प्रदेश के देवबंद में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के सालाना अधिवेशन को संबोधित करते हुए संगठन के दूसरे धड़े के प्रमुख मौलाना महमूद असद मदनी ने शनिवार को कहा कि सरकार ने देश के मुसलमानों की मुश्किलों के प्रति आंखें मूंद ली हैं. संगठन ने आरोप लगाया कि देश के बहुसंख्यक समुदाय के दिमाग में भाजपा नीत सरकार के संरक्षण में ज़हर घोला जा रहा है.
वीडियो: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो दशकों में सभी धार्मिक समुदायों में मुसलमानों की जनसंख्या में सबसे तेज़ गिरावट देखी गई है. समुदाय की प्रजनन दर 2019-2021 में गिरकर 2.3 हो गई, जो 2015-16 में 2.6 थी. इस मुद्दे पर चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुख एसवाई क़ुरैशी से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
उत्तर प्रदेश के सीतापुर के खैराबाद के महर्षि श्री लक्ष्मण दास उदासी आश्रम के महंत बजरंग मुनि दास को नफ़रती भाषण और मुस्लिम महिलाओं को बलात्कार की धमकी देने के आरोप में बीते 13 अप्रैल को गिरफ़्तार किया गया था. जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने कहा कि वह अपने धर्म और महिलाओं की रक्षा करना जारी रखेंगे, भले ही इसके लिए उन्हें हज़ार बार जेल जाना पड़े.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने जुलाई 2020 में राज्य के मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक आयोग का गठन किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में पहचान-पत्र या प्रमाण-पत्र जारी करने के साथ-साथ असमिया मुस्लिम समुदाय की पहचान और दस्तावेज़ीकरण के लिए जनगणना कराने का सुझाव दिया है.