शीर्ष अदालत ने तलाक़शुदा पत्नी को गुज़ारा भत्ता देने के निर्देश के ख़िलाफ़ एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा दायर याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि तलाक़ के बाद पत्नी के भरण-पोषण से जुड़ी सीआरपीसी की धारा 125 सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है, चाहे उनका धर्म कोई भी हो.
पिछले लगभग एक दशक से व्यवस्था और समाज के कमोबेश हर स्तर पर मुस्लिमों को अलग-थलग करने का सुनियोजित प्रयास चल रहा है. उनके ख़िलाफ़ नफ़रत और हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में आम मुसलमान विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में ख़ुद को कहां पाता है?
वीडियो: देश में एक नया चलन देखने को मिल रहा है. हाल ही में ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें कुछ मुस्लिम युवक समुदाय की युवतियों के ग़ैर-मुस्लिम युवकों के साथ घूमने या नज़र आने के लिए प्रताड़ित कर रहे हैं. बीते मई के महीने में ऐसी पांच घटनाएं देखने को मिली हैं.
मद्रास हाईकोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा कि एक मुस्लिम महिला के पास यह विकल्प है कि वह ‘खुला’ के ज़रिये शादी को समाप्त करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल परिवार अदालत में कर सकती है और जमात के कुछ सदस्यों की एक स्वघोषित संस्था को ऐसे मामलों के निपटारे का कोई अधिकार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं में बहुविवाह और 'निकाह हलाला' को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने का निर्देश देने का आग्रह किया है. एक याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था कि मामले को सुन रही संविधान पीठ को नए सिरे से गठित करने की ज़रूरत है, क्योंकि पिछली पीठ के दो जज रिटायर हो चुके हैं.
पिछले साल जुलाई में कुछ लोगों ने ‘सुल्ली डील्स’ नामक ऐप पर सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें ‘नीलामी’ के लिए अपलोड कर दी थीं, जिसके बाद ऐप बनाने के आरोपी ओंकारेश्वर ठाकुर के ख़िलाफ़ विभिन्न राज्यों में कई एफ़आईआर दर्ज कराई गई थीं. ठाकुर ने उन सभी एफ़आईआर को एक साथ जोड़ने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी.
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न सेंटर फॉर बिजनेस एंड ह्यूमन राइट्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी समूह समर्थकों द्वारा 'मुसलमानों को निशाना बनाना' देश में 'यूट्यूब का सबसे परेशान करने वाला दुरुपयोग' है. रिपोर्ट में ‘सुल्ली डील्स’ और ‘बुली बाई’ जैसे ऐप्स का हवाला देते हुए मुस्लिम महिलाओं की ‘बिक्री’ और उन्हें बलात्कार की धमकी देने की घटनाओं को भी रेखांकित किया गया है.
उत्तर प्रदेश के सीतापुर के खैराबाद के महर्षि श्री लक्ष्मण दास उदासी आश्रम के महंत बजरंग मुनि दास को नफ़रती भाषण और मुस्लिम महिलाओं को बलात्कार की धमकी देने के आरोप में बीते 13 अप्रैल को गिरफ़्तार किया गया था. जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने कहा कि वह अपने धर्म और महिलाओं की रक्षा करना जारी रखेंगे, भले ही इसके लिए उन्हें हज़ार बार जेल जाना पड़े.
बुली बाई ऐप पर सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की अनुमति के बिना उनकी तस्वीरों से छेड़छाड़ कर उन्हें 'नीलामी' के लिए अपलोड करने के तीन आरोपियों- विशाल झा, श्वेता सिंह और मयंक अग्रवाल की ज़मानत मंजूर करते हुए मुंबई की एक अदालत ने कहा कि उनकी परीक्षाएं आने वाली हैं और यदि उन्हें जेल में रखा जाएगा तो इसका उनके भविष्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले के खैराबाद क्षेत्र के महंत बजरंग मुनि ने बीते दो अप्रैल को हिंदू नव वर्ष और नवरात्रि के अवसर पर कथित तौर पर मुस्लिम महिलाओं से बलात्कार की धमकी दी थी. इस मामले में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया है. मध्य प्रदेश पुलिस में एक पूर्व सब-इंस्पेक्टर के बेटे बजरंग मुनि को पहले अनुपम मिश्रा के नाम से जाना जाता था.
उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले के ख़ैराबाद के महर्षि श्री लक्ष्मण दास उदासी आश्रम के महंत बजरंग मुनि पर मुस्लिमों के ख़िलाफ़ अपमानजनक बयान के लिए बीते 8 अप्रैल को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया था. बताया जाता है कि महंत ने नवरात्रि और हिंदू नववर्ष के अवसर पर निकले जुलूस के दौरान पुलिस की मौजूदगी में ये बयान दिए थे.
बताया जाता है कि मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण वाला दो मिनट का वीडियो दो अप्रैल को रिकॉर्ड किया गया था, जब सीतापुर ज़िले में ख़ैराबाद क़स्बे के महर्षि श्री लक्ष्मण दास उदासीन आश्रम के महंत बजरंग मुनि दास के तौर पर पहचाने गए व्यक्ति ने नवरात्रि और हिंदू नव वर्ष के अवसर पर एक जुलूस निकाला था.
सुल्ली डील्स और बुली बाई डील्स नामक ऐप पर सैकड़ों मुस्लिमों महिलाओं की तस्वीरों को बिना उन महिलाओं की मंज़ूरी के ‘नीलामी’ के लिए डाला गया था. सुल्ली डील्स बनाने वाले ओंकारेश्वर ठाकुर को ज़मानत देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि आरोपी ने पहली बार अपराध किया है और लंबे समय तक क़ैद उसके लिए नुकसानदायक हो सकती है.
देश के 28 वरिष्ठ पत्रकारों और मीडियाकर्मियों ने राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और विभिन्न उच्च न्यायालयों, भारत के निर्वाचन आयोग और अन्य वैधानिक निकायों से देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों पर हो रहे हमलों को रोकने का आह्वान किया है.
2021 में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हेट क्राइम बढ़े पर मीडिया ख़ामोश रहा. इस साल की शुरुआत और ज़्यादा नफ़रत से हुई, लेकिन इसके ख़िलाफ़ देशभर में आवाज़ उठी. अल्पसंख्यकों और औरतों से नफ़रत के अभियान का निशाना बनने के बाद मैं ख़ुद को सोचने से नहीं रोक पाती कि क्या अब भी कोई उम्मीद बाक़ी है?