देश के सांप्रदायिक पागलपन के माहौल में एक मुसलमान के ऊपर गाय के बछड़े का गिर जाना एक घटना तो है ही, एक बिंब,एक फैंटसी और एक प्रतीक भी है.
प्रासंगिक: यह वास्तव में एक त्रासदी है कि जिन लोगों के पास यह सुनिश्चित करने की क्षमता थी कि भारत सांप्रदायिकता के बवंडर में न फंस जाए, उनमें से कोई भी मेरठ हिंसा के असली रूप को पहचान नहीं पाया.
बाबरी विध्वंस मामले में गवाह वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान बता रहे हैं कि कैसे टालमटोल, सुस्ती और न्याय तंत्र की उदासीनता के चलते यह केस 25 सालों से लटका हुआ है.
अगर बेग़म जान या पाकिस्तान के बाहर विभाजन पर बनी कोई भी फिल्म सरकार को इतना डरा देती है कि उसे बैन करने से पहले देखना तक ज़रूरी नहीं समझा जाता, तो यह दिखाता है कि ये मुल्क किस कदर असुरक्षा और डर में जी रहा है.
कहने के लिए इस्लाम शक्ति और विश्व-बंधुत्व का धर्म कहलाता है, हिंदू धर्म ब्रह्मज्ञान और सहिष्णुता का धर्म बतलाया जाता है, किंतु क्या इन दोनों धर्मों ने अपने इस दावे को कार्यरूप में परिणत करके दिखलाया?
पुलिस के मुताबिक, झारखंड में कथित तौर पर हिंदू लड़की से प्रेम के चलते मुस्लिम युवक की पेड़ से बांधकर बर्बरतापूर्वक पिटाई की गई. लड़के की अस्पताल में मौत हो गई.
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकार को राज्य में मुस्लिमों के अल्पसंख्यक दर्जे पर आपसी सहमति से बैठक करने और चार हफ्तों में इसकी रिपोर्ट जमा करने को कहा है.
लोकतंत्र में हर पल अपने समाज और वोटरों के बारे में सोचते रहना पड़ता है, लेकिन दुखद यह है कि उत्तर भारत के सामाजिक न्याय के सभी बड़े नेता सिर्फ अपने परिवार और रिश्तेदार के बारे में सोचते हैं, उन जनता के बारे में नहीं जिनके वोट से ये मसीहा बने थे.
भारत की सियासत में जब तक अलग से मुसलमानों की बात होती रहेगी तब तक हिंदुत्व ज़िंदा रहेगा.
अयोध्या में वोट डालने के बाद भाजपा के राज्यसभा सदस्य विनय कटियार ने राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को महत्वपूर्ण बताया. कहा, राम मंदिर के बिना सारे मुद्दे बेकार हैं.
मैं ये बचपन से सुनता आ रहा हूं कि मस्जिदों में असलहे रखे जाते हैं. हिंदुओं की एक बड़ी आबादी इसे सच मानती है. आप उसको कुरेद सकते हैं, हिंसक बना सकते हैं.
गोवंडी के मौज़ूदा हालात और आम लोगों का जीवन बताता है कि मुंबई शहर ने इसे अपना कूड़ेदान बना रखा है. 21 फरवरी को बीएमसी का चुनाव है और सवाल है कि क्या चुनाव बाद यहां के हालात सुधरेंगे?