वर्ष 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े एक मामले में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, साध्वी प्राची, भाजपा के पूर्व सांसद भारतेंदु सिंह, पूर्व भाजपा विधायक उमेश मलिक, कट्टर हिंदुत्वावादी नेता यति नरसिंहानंद समेत कई आरोपी निषेधाज्ञा के उल्लंघन और लोक सेवकों को उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
मुज़फ़्फ़रनगर की एमपी/एमएलए अदालत ने 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े एक मामले में 10 अक्टूबर को खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी और 11 अन्य लोगों को दो साल की जेल की सज़ा सुनाई थी. इसके बाद यूपी विधानसभा ने उन्हें अयोग्य ठहरा कर उनकी सीट रिक्त घोषित कर दी थी.
मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले की खतौली विधानसभा से भाजपा के विधायक विक्रम सिंह सैनी को मुज़फ़्फ़रनगर दंगे के केस में दो वर्ष की सज़ा सुनाए जाने के बाद विधानसभा सचिवालय ने इस सीट को रिक्त घोषित कर दिया है.
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में 2013 के सांप्रदायिक दंगे में 60 से अधिक लोग मारे गए थे और 40 हज़ार से ज़्यादा विस्थापित हुए थे. विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने भाजपा विधायक विक्रम सैनी तथा 11 अन्य को दोषी क़रार देते हुए दो-दो साल की क़ैद और जुर्माने की सज़ा सुनाई. हालांकि सभी को निजी मुचलके पर रिहा भी कर दिया गया.
खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी अगस्त 2013 में उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर के कवाल गांव के प्रधान थे, जहां दो चचेरे भाइयों की हत्या के बाद हिंसा भड़कने की पहली घटना हुई थी. यूपी सरकार ने दंगों से संबंधित 77 मामले वापस लिए हैं, जिनमें से कुछ को अगस्त 2021 में आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई थी, जिसके बाद विधायक सैनी और अन्य को बरी किया गया है.
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में 2013 के सांप्रदायिक दंगे में 60 से अधिक लोग मारे गए थे और 40 हज़ार से ज़्यादा विस्थापित हुए थे. एसआईटी के अनुसार, पुलिस ने 1,480 लोगों के ख़िलाफ़ 510 मामले दर्ज किए और 175 मामलों में चार्जशीट दायर हुई. 97 मामलों में अदालत ने निर्णय दिया और 1,117 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.
मुज़फ़्फ़रनगर के कवाल गांव में दो युवकों की हत्या को लेकर कार्रवाई के लिए सितंबर 2013 को जाट समुदाय के लोगों ने महापंचायत बुलाई थी. महापंचायत से लौट रहे लोगों पर हमले के बाद हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान 65 लोगों की मौत हो गई और लगभग 40,000 लोगों को पलायन करना पड़ा था.
उत्तर प्रदेश के सरधना से भाजपा विधायक संगीत सोम पर साल 2013 में मुज़फ़्फ़रनगर में हुए सांप्रदायिक दंगे के पहले सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो अपलोड करने का मामला दर्ज किया था. एसआईटी ने विशेष अदालत में क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर कहा कि सोम के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला.
इन आरोपियों में भाजपा विधायक संगीत सोम, सुरेश राणा, कपिल देव शामिल हैं. दंगे से पहले जाट समुदाय के लोगों द्वारा बुलाई के गई महापंचायत के संबंध में ये केस दर्ज किया गया था. भाजपा विधायकों पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में 2013 को हुए दंगों में हत्या के गवाहों के अपने बयान से मुकर जाने के बाद अदालत ने सभी 10 मुक़दमों के आरोपियों को रिहा कर दिया. मुज़फ़्फ़रनगर दंगों में 65 लोगों की मौत हुई थी.
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में 27 अगस्त 2013 को छह लोगों ने शाहनवाज़ की चाकू मारकर हत्या कर दी थी. शाहनवाज़ की हत्या और एक अन्य घटना में दो युवकों की मौत के बाद मुज़फ़्फ़रनगर और आसपास के इलाके में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिसमें 60 लोग मारे गए थे और तकरीबन 40,000 लोग बेघर हुए थे.
आरोप था कि मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के दौरान सात सितंबर 2013 को ज़िले के लिसाढ गांव के घरों में आग लगा दी गई थी और लूटपाट की गई थी.
आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर क्या सोच रहे हैं उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर के मुस्लिम उम्मीदवार. बता रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में अलग-अलग घटनाओं में दो चचेरे भाइयों गौरव और सचिन के साथ एक अन्य युवक शाहनवाज कुरैशी की हत्या हो गई थी जिसके बाद पूरे इलाके में हिंसा फैल गई थी. इस दौरान 62 लोगों की मौत हुई थी जबकि 50 हजार से ज़्यादा लोग विस्थापित हो गए थे.
दंगों के लगभग 20 मामलों में विधायक और सांसद भी आरोपियों की सूची में हैं. पुलिस ने भाजपा विधायक उमेश मलिक, भाजपा सांसद भारतेंदु सिंह, हिंदुत्ववादी नेता साध्वी प्राची और अन्य के ख़िलाफ़ इसमें उनकी कथित भूमिका के लिए मामला दर्ज किया था.