जम्मू कश्मीर के बारामूला के रहने वाले 25 वर्षीय मुज़म्मिल मंज़ूर वार को 17 अगस्त 2020 को ‘देश की सुरक्षा और संप्रभुता’ के लिए ख़तरा पैदा करने के आरोप में ‘कठोर’ पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था. इसे उनके पिता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन रिहाई के दो आदेश के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया गया था.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने पिछले साल फरवरी में मुज़म्मिल मंज़ूर वार की हिरासत के आदेश को रद्द कर दिया था, लेकिन 467 दिन बाद भी वह जेल में हैं. उन्हें विवादास्पद जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था, जो लोगों को 2 साल तक बिना मुक़दमे के हिरासत में रखने की अनुमति देता है.