एनएससीएन-आईएम के इसाक-मुइवा गुट ने संघर्ष विराम पर सहमति के 27 साल बाद केंद्र सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर केंद्र ने 2015 के नगा शांति को लेकर हुए फ्रेमवर्क समझौते का सम्मान नहीं किया तो वे फिर से भारत के ख़िलाफ़ हिंसक सशस्त्र प्रतिरोध शुरू करेंगे.
मणिपुर के नगा-बहुल उखरुल ज़िले में नगा नेताओं की एक दिवसीय सार्वजनिक सलाहकार बैठक के दौरान एनएससीएन के विचारक माने जाने वाले आरएच राइजिंग ने कहा कि अगर नगाओं की स्थिति का नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सम्मान नहीं किया जाता है तो संगठन संघर्ष विराम से बाहर निकलने के लिए तैयार है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में समान नागरिक संहिता की पुरज़ोर वकालत के बाद मेघालय, मिज़ोरम और नगालैंड में विभिन्न संगठनों ने इसके ख़िलाफ़ विरोधी तेवर अपना लिए हैं. एक नगा संगठन ने विधानसभा द्वारा यूसीसी के समर्थन में विधेयक पारित करने की स्थिति में हिंसा की चेतावनी दी है.
केंद्र सरकार और नगा संगठनों की अगुवाई कर रहे नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) के बीच शांति वार्ता मई से रुकी हुई है. एनएससीएन-आईएम ने कहा है कि वह नगा बहुल क्षेत्रों के एकीकरण और एक अलग झंडे की अपनी मांग पर कायम है और इन पर कोई समझौता नहीं हो सकता.
केंद्र के साथ शांति वार्ता कर रहे नगा समूहों का अगुवा संगठन एनएससीएन-आईएम लंबे समय से अलग झंडे और अलग संविधान की मांग पर क़ायम है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार नगा संविधान को भारतीय संविधान में शामिल करने के लिए तैयार है और उनके सांस्कृतिक ध्वज के इस्तेमाल को भी सहमति दे दी गई है.
केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता कर रहे नगा संगठनों की अगुवाई कर रहे नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) ने दावा किया है कि दशकों से चली आ रही इस समस्या के समाधान में हो रही देरी की वजह आरएसएस द्वारा उनके अलग झंडे और अलग संविधान की मांग पर आपत्ति जताया जाना है.
आफ़स्पा के विरोध और सुरक्षाबलों की गोलीबारी में मारे गए 14 आम नागरिकों के लिए इंसाफ़ की मांग करते हुए सैकड़ों की संख्या में नगा लोगों ने नगालैंड के दीमापुर शहर से 70 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी कोहिमा तक पैदल मार्च किया.
दशकों पुराने नगा राजनीतिक मुद्दे का समाधान तलाशने के लिए वार्ता बहाल करने वाले नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (एनएससीएन-आईएम) का कहना है कि केंद्र सरकार बिना राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को पूरा किए बढ़ाकर-चढ़ाकर किए गए वादों से नगाओं को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है.