महाराष्ट्र के अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की बेटी की ओर से कहा गया कि सीबीआई ने समुचित ढंग से मामले की जांच नहीं की और अब भी कई ख़ामियां हैं, जिनकी जांच किया जाना बाकी है. दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की हत्या के मामले में महाराष्ट्र के आपराधिक जांच विभाग के प्रयासों के बावजूद जांच की दिशा में 2015 से कोई प्रगति या सफलता नहीं दिखी, इसलिए जांच को राज्य के एटीएस को सौंपा जाना चाहिए. फरवरी 2015 में पानसरे को कोल्हापुर में गोली मारी गई थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि वामपंथी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की हत्या के मामले में जांच आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) को हस्तांतरित करने की मांग करने वाली परिजनों की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को निर्णय लेना चाहिए. अदालत ने कहा कि हम अंतहीन इंतजार नहीं कर सकते. हम इस पर फैसला चाहते हैं.
वामपंथी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की बहू ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि 2015 से मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है और जांच की स्थिति निराशाजनक है. इस पर अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस के सीआईडी को पानसरे की 2015 में हुई हत्या की जांच में 2020 से अब तक हुई प्रगति की जानकारी देते हुए एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया.
महाराष्ट्र के अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता और तर्कवादी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे. पुणे नगर निगम के एक सफाईकर्मी ने कथित शूटर शरद कलास्कर और सचिन अंडुरे की पहचान कर ली है.
महाराष्ट्र के अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता और तर्कवादी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे. इस मामले में सीबीआई ने पांच लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की है.
सीबीआई ने अदालत में दलील दी कि तर्कशास्त्री डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 2013 में हुई हत्या के मामले में पांच आरोपियों पर ‘लोगों के एक वर्ग के बीच आतंक’ पैदा करने के लिए यूएपीए के तहत मुक़दमा चलाया जाए.
महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे. इस मामले में सीबीआई ने आठ लोगों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें से पांच के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर हो चुकी है.
सीबीआई और एसआईटी ने कहा कि दोनों एजेंसियों ने बताया कि साल 2016 में उन्होंने दोनों मामलों में सुनवाई पर अंतरिम रोक का आग्रह किया था, क्योंकि तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई दोनों हत्याओं में मौका-ए-वारदात पर मिलीं गोलियों की फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही थी. इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए उनसे पूछा था कि दोनों मामलों में कब तक तहक़ीक़ात पूरी हो सकती है.
महाराष्ट्र की अपराध जांच विभाग (सीआईडी) कम्युनिस्ट नेता गोविंद पानसरे की हत्या की जांच कर रही है, जबकि अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता के रूप में चर्चित रहे नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले की जांच की ज़िम्मेदारी सीबीआई को दी गई है. पुणे में दाभोलकर की हत्या साल 2013 में, जबकि कोल्हापुर में पानसरे की हत्या 2015 में कर दी गई थी.
अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. दाभोलकर के परिवार ने कहा है कि सीबीआई को इस साज़िश के मास्टरमाइंड को खोजना होगा, वरना तर्कवादी विचारकों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के लिए ख़तरा बना रहेगा.
सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि आशंका है कि हत्यारों ने हत्या के बाद हथियार ठाणे की खाड़ी में फेंक दिया, इसकी तलाश के लिए विदेशी एजेंसी की मदद ली जा रही है.
वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या मामले में गिरफ्तार शरद कालसकर ने 14 पेज के कबूलनामे में तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पनसारे की हत्या में भी शामिल होने की बात स्वीकार की है.
सीबीआई का कहना है कि गोविंद पानसरे की हत्या के अलावा शरद कालस्कर का नाम सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर और गौरी लंकेश की हत्या के मामले में भी सामने आया था और इन मामलों में उसकी गिरफ़्तारी भी हो चुकी है.
विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि गिरफ़्तार वकील संजीव पुनालेकर ‘सनातन संस्था’ से भी जुड़े हुए हैं और उन्होंने मामले में अन्य आरोपियों के साथ साज़िश रची थी. वहीं उनका सहायक विक्रम भावे 2008 के ठाणे बम विस्फोट मामले में दोषी है.