'अगर आप एक नेता हैं और आपकी नज़रों के सामने बड़ी संख्या में लोगों का क़त्ल किया जाता है, तब आप लोगों की ज़िंदगी बचा पाने में नाकाम रहने की जवाबदेही से मुकर नहीं सकते.'
जन गण मन की बात की 295वीं कड़ी में विनोद दुआ भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं और राहुल गांधी के 1984 के दंगों को लेकर दिए गए बयान पर चर्चा कर रहे हैं.
राहुल गांधी की कांग्रेस को सिख दंगों से अलग करने की कोशिश वैसी ही है, जैसी मोदी ने विकास के नारे में गुजरात के दाग़ छुपाकर की थी.
1984 के राजीव गांधी और 1993 के नरसिम्हा राव की तरह वाजपेयी इतिहास में एक ऐसे प्रधानमंत्री के तौर पर भी याद किए जाएंगे, जिन्होंने पाठ तो सहिष्णुता का पढ़ाया, मगर बेगुनाह नागरिकों के क़त्लेआम की तरफ़ से आंखें मूंद लीं.
हैदराबाद के 150 साल पुराने गांधी अस्पताल में डिलिवरी के दौरान पिछले हफ्ते में छह मौतें हो चुकी हैं.