केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश एक विधेयक में जम्मू कश्मीर के भाषाई अल्पसंख्यक पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की बात की है. इसके विरोध में गुर्जर और बकरवाल समुदाय ने कहा कि सरकार सूबे में एक समुदाय को दूसरे समुदाय के ख़िलाफ़ खड़ा करके ‘मणिपुर जैसे हालात’ पैदा कर रही है.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर गठित संसदीय समिति ने पाया है कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग पिछले चार वर्षों से निष्क्रिय रहा है और संसद में उसने एक भी रिपोर्ट पेश नहीं की है.