आम सहमति वापस लेने का अर्थ है कि सीबीआई मेघालय में अब किसी भी मामले की जांच राज्य सरकार की अनुमति के बिना नहीं कर पाएगी. विपक्ष द्वारा शासित राज्यों का आरोप है कि सीबीआई केंद्र की कठपुतली बन गई है. हालांकि मेघालय में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग सरकार होने के बावजूद ऐसा फैसला लिया गया है. फैसले के पीछे मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के भाई पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप को वजह बताया जा रहा है.
2022 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के लिए अलग-अलग समय पर भाजपा से कोई न कोई शर्त रखने वाले निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने शुक्रवार की पत्रकार वार्ता में किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और भाजपा नेताओं के बयान पर सहमति में सिर हिलाते रहे. बीते दिनों में निषाद भाजपा से ख़ुद को उप-मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव मैदान में उतारने की मांग भी कर चुके हैं.
केरल के कांग्रेस नेता एपी अब्दुल्लाकुट्टी ने कुछ दिन पहले फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि एनडीए की जीत मोदी के विकास के एजेंडे की स्वीकार्यता दिखाती है. उनकी सफलता का राज है कि उन्होंने गांधीवादी मूल्यों को अपनाया.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा कि महज़ शब्दों के खेल या विज्ञापनों से बढ़ती बेरोज़गारी के मुद्दे का समाधान नहीं होने वाला है, सिर्फ विज्ञापन देने से ही नौकरियां नहीं मिल जाएंगी.
नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा, ‘इलाज के दौरान मेरे पास निश्चित तौर पर काफी समय होगा, जिसमें मैं सरकार और पार्टी की अनौपचारिक तौर पर मदद कर सकूंगा.’
राजग संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद संसद के केंद्रीय कक्ष में नवनिर्वाचित सदस्यों से नरेंद्र मोदी ने कहा कि अख़बार में छपने और टीवी पर दिखने के मोह से अगर बचकर चलते हैं तो हम बहुत कुछ बचा सकते हैं.
गिरिराज सिंह ने कहा कि मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है क्योंकि बिहार में किसी भी सांसद की सीट नहीं बदली गई है. भाजपा की राज्य इकाई को मुझे बताना चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों किया गया.
बिहार में भाजपा 17, जदयू 17 और लोजपा 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. साल 2014 में भागलपुर से लोकसभा चुनाव हारने वाले शाहनवाज हुसैन का टिकट काट दिया गया.
संघ का एजेंडा लागू करने का आरोप लगाकर बीते दिनों केंद्र और बिहार में सत्तारूढ़ राजग सरकार से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा अलग हो गए थे.
बिहार में यादव समुदाय की आबादी करीब 15 प्रतिशत और कुशवाहा समुदाय की करीब 8 फीसदी है. ऐसे में अगर उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए छोड़ कर राजद के साथ जाते हैं, तो भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है.
मोदी सरकार ने 2014 में चार नए एम्स, 2015 में 7 नए एम्स और 2017 में दो एम्स का ऐलान करते हुए 148 अरब रुपये का प्रावधान किया गया था मगर अब तक 4 अरब रुपये ही दिए गए हैं. आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि किस रफ़्तार से काम हो रहा होगा.
आंकड़ों पर ग़ौर करें तो भाजपा समर्थकों का यह दावा पूरी तरह से सही नहीं दिखता है. देश की कुल 4,139 विधानसभा सीटों में से सिर्फ़ 1,516 सीटें यानी करीब 37 फीसदी ही भाजपा के पास हैं और सिर्फ़ दस राज्यों में भाजपा की बहुमत वाली सरकार है.
अगर लोकसभाध्यक्ष या पीठासीन अधिकारी किसी बहाने ऐसे वाजिब अविश्वास प्रस्ताव पर अमल करने से इनकार कर दे तो फिर संसदीय लोकतंत्र पर टिकी हमारी व्यवस्था पर कौन भरोसा करेगा?
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कि उत्तर प्रदेश में भाजपा एकमात्र ताक़तवर पार्टी है और रहेगी. अगर 2019 में भी सपा-बसपा का गठबंधन होता है तो पार्टी मुक़ाबला करने को तैयार है.
भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं. कांग्रेस, एआईएडीएमके, टीएमसी, एनसीपी और सीपीएम ने टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने का ऐलान किया.