एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच द्वारा किए गए एक विश्लेषण के मुताबिक़, भाजपा के 90 राज्यसभा सदस्यों में से 23 प्रतिशत ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, वहीं कांग्रेस के 28 में से 50 फीसदी सांसद इसी तरह के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच ने पिछले पांच वर्षों में देश में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों में असफल उम्मीदवारों के अलावा सभी मौजूदा सांसदों और विधायकों के हलफ़नामों का विश्लेषण किया है. इसके अनुसार हेट स्पीच से संबंधित घोषित मामलों वाले 480 उम्मीदवारों ने राज्य विधानसभाओं, लोकसभा और राज्यसभा का चुनाव लड़ा है.
एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच ने यह भी बताया है कि लोकसभा और राज्यसभा के प्रति सांसद संपत्ति का औसत मूल्य 38.33 करोड़ रुपये है और 53 सांसद (7 फीसदी) अरबपति हैं. प्रति सांसद उच्चतम औसत संपत्ति वाला राज्य तेलंगाना (24 सांसद) है, जहां के सांसदों की औसत संपत्ति 262.26 करोड़ रुपये है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) ने 233 राज्यसभा सांसदों में से 225 के आपराधिक, वित्तीय और अन्य पृष्ठभूमि विवरणों का विश्लेषण किया है. भाजपा के 85 राज्यसभा सांसदों में से लगभग 23 कांग्रेस के 30 सांसदों में से 12 और टीएमसी के 13 सांसदों में से 4 ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक इज़ाफ़ा कर्नाटक के भाजपा सांसद रमेश चंदप्पा जिगाजिनागी की संपत्ति में हुई है. उनकी संपत्ति में इस अवधि में 4,189 प्रतिशत की वृद्धि हुई. कर्नाटक से ही भाजपा सांसद पीसी मोहन उन शीर्ष 10 सांसदों की सूची में दूसरे नंबर पर हैं, जिनकी संपत्ति में 2009 और 2019 के बीच में वृद्धि हुई.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, राज्यसभा के वर्तमान 226 सदस्यों में 71 यानी 31 प्रतिशत ने अपने हलफ़नामों में उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है जबकि 37 यानी 16 प्रतिशत ने गंभीर आपराधिक मामले होने की पुष्टि की है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भाजपा और कांग्रेस सहित 19 राजनीतिक दलों ने पांच राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव के दौरान 500 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा स्टार प्रचारकों के विज्ञापनों और यात्रा मद में गया.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले सात वर्षों में कुल 1,133 उम्मीदवारों और 500 सांसदों-विधायकों ने पार्टियां बदलीं और चुनाव लड़े. कांग्रेस के बाद बहुजन समाज पार्टी दूसरी ऐसी पार्टी रही, जिससे सबसे अधिक उम्मीदवार और सांसद-विधायक अलग हुए.
एडीआर के अध्ययन के अनुसार महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में भाजपा के बाद शिवसेना और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं.