केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 80 प्रतिशत ग्रीन फंड का इस्तेमाल नहीं किया: रिपोर्ट

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मोटे तौर पर दो मदों- पर्यावरण संरक्षण शुल्क और पर्यावरण मुआवज़े के तौर पर फंड मिलते हैं. निकाय ने दोनों मदों के तहत एकत्र किए गए कुल 777.69 करोड़ रुपये में से केवल 156.33 रुपये यानी केवल 20 प्रतिशत ही ख़र्च किए हैं.

पर्यावरणविदों ने ग्रेट निकोबार द्वीप मेगा प्रोजेक्ट पर एनजीटी के रुख़ को निराशाजनक बताया

ग्रेट निकोबार द्वीप में 72,000 करोड़ रुपये की मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए दी गई वन और पर्यावरण मंज़ूरी में हस्तक्षेप करने से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने इनकार कर दिया है. परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों का कहना है कि यह स्थानीय समुदायों को प्रभावित करेगी और द्वीप की नाज़ुक पारिस्थितिकी एवं जैव विविधता को नुकसान पहुंचाएगी.

एनजीटी ने कोका कोला, पेप्सिको पर अवैध भूजल दोहन के लिए 25 करोड़ रुपये का ज़ुर्माना लगाया

इन दोनों कंपनियों पर लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप है. बताया गया है कि वे भूजल को रिचार्ज करने संबंधी शर्त पूरा करने में विफल रहीं, साथ ही एनओसी की अवधि समाप्त होने के बाद भी लगातार भूजल निकालती रहीं.

कैग ने 2019 के इलाहाबाद कुंभ मेला प्रबंधन में भारी वित्तीय अनियमितता सहित कई ख़ामियां गिनाईं

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने इलाहाबाद में 2019 कुंभ के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के प्रबंधन में कई खामियां पाई हैं. इनमें ठोस कचरे के खराब निपटान से लेकर भीड़ प्रबंधन में खामी और मुहैया कराए धन के उपयोग में विसंगतियां शामिल हैं. कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि कुंभ मेले में प्रभावी भीड़ प्रबंधन के लिए राज्य सरकार द्वारा खरीदे गए 32.5 लाख रुपये के ड्रोन कैमरों का उपयोग नहीं किया गया और वे निष्क्रिय रहे.

केंद्रीय भूजल बोर्ड ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भूमिगत जल की बर्बादी रोकने को कहा

एनजीटी ने हाल ही में भूजल की बर्बादी को लेकर केंद्र को फटकार लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार इसके लिए समयबद्ध कार्य योजना बनाए और ऐसे मामलों की निगरानी करे.

कुंभ के दौरान ज़हरीली है इलाहाबाद की हवा, एनजीटी के आदेश को किया जा रहा नज़रअंदाज़

पर्यावरण वैज्ञानिक डॉक्टर सीमा जावेद ने कुंभ के दौरान इलाहाबाद की हवा इतनी खराब होने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि एनजीटी के आदेश के बावजूद इलाहाबाद में वायु की गुणवत्ता पर नजर रखने के सरकारी प्रयास नहीं हो रहे हैं.