एक याचिका में दावा किया गया है कि इलाहाबाद में रसूलाबाद से संगम तक आठ किलोमीटर के क्षेत्र में 50 नालों से गंगा नदी में सीवेज गिर रहा है. एनजीटी का कहना है कि यदि नदी में सीवेज रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो महाकुंभ में आने वाले लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित होगा.
एनजीटी ने अप्रैल में ऋषिकेश-देहरादून रोड के पास बड़कोट वन रेंज में लगी आग संबंधी कार्यवाही में वकील गौरव बंसल को न्याय मित्र नियुक्त किया था. अपनी रिपोर्ट में बंसल ने कहा है कि जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए सरकार के पास समुचित अग्निशमन उपकरण और वाहन ही नहीं हैं.
एनजीटी असम के शिवसागर ज़िले में संरक्षित वन क्षेत्र के भीतर 28 हेक्टेयर भूमि पर कमांडो शिविर बनाने का मामला सुन रहा है. 1 अक्टूबर को दिए हलफ़नामे में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पुष्टि की है कि कैंप वन संरक्षण कानूनों का उल्लंघन है और केंद्र सरकार के अनुमोदन के बगैर बनाया गया.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर ग्रेट निकोबार द्वीप विकास परियोजना को दी गई पर्यावरणीय मंज़ूरी पर पुनर्विचार करने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति के आचरण, संरचना और निष्कर्षों पर सवाल उठाए हैं.
बीते सप्ताह हिमंता बिस्वा सरमा ने गुवाहाटी में अचानक आई बाढ़ के लिए मेघालय के री-भोई ज़िले में स्थित मेघालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में हुए निर्माण कार्य को ज़िम्मेदार ठहराया था. अब उन्होंने कहा है कि यूनिवर्सिटी का गेट 'मक्का' जैसा बना है.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) उत्तर प्रदेश की प्रस्तावित कांवर मार्ग सड़क परियोजना की जांच कर रहा है. यह मार्ग गाजियाबाद, मेरठ और मुज़फ़्फ़रनगर से होकर गुजरेगा. इसके लिए 222.98 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की आवश्यकता होगी और तकरीबन 1,12,722 पेड़ों को काटना होगा.
मुज़फ़्फ़रनगर के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इस फ़ैसले के पीछे का कारण यह सुनिश्चित करना है कि कांवड़ियों के बीच किसी भी प्रकार का कोई भ्रम न हो. गौरतलब है कि बीते दिनों मुज़फ़्फ़रनगर के भाजपा विधायक ने कहा था कि मुसलमानों को कांवड़ यात्रा में अपनी दुकानों का नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर नहीं रखना चाहिए.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा जोशीमठ में भू-धंसाव की घटनाओं को लेकर पिछले साल दर्ज मामले में बीते जून माह में उत्तराखंड सरकार द्वारा एक रिपोर्ट दायर की गई थी, जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए एनजीटी ने कहा है कि रिपोर्ट में कई खामियां हैं और सरकार द्वारा हालात सुधारने को लेकर ज़मीनी स्तर पर कोई काम नहीं किया गया है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मोटे तौर पर दो मदों- पर्यावरण संरक्षण शुल्क और पर्यावरण मुआवज़े के तौर पर फंड मिलते हैं. निकाय ने दोनों मदों के तहत एकत्र किए गए कुल 777.69 करोड़ रुपये में से केवल 156.33 रुपये यानी केवल 20 प्रतिशत ही ख़र्च किए हैं.
ग्रेट निकोबार द्वीप में 72,000 करोड़ रुपये की मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए दी गई वन और पर्यावरण मंज़ूरी में हस्तक्षेप करने से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने इनकार कर दिया है. परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों का कहना है कि यह स्थानीय समुदायों को प्रभावित करेगी और द्वीप की नाज़ुक पारिस्थितिकी एवं जैव विविधता को नुकसान पहुंचाएगी.
इन दोनों कंपनियों पर लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप है. बताया गया है कि वे भूजल को रिचार्ज करने संबंधी शर्त पूरा करने में विफल रहीं, साथ ही एनओसी की अवधि समाप्त होने के बाद भी लगातार भूजल निकालती रहीं.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने इलाहाबाद में 2019 कुंभ के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के प्रबंधन में कई खामियां पाई हैं. इनमें ठोस कचरे के खराब निपटान से लेकर भीड़ प्रबंधन में खामी और मुहैया कराए धन के उपयोग में विसंगतियां शामिल हैं. कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि कुंभ मेले में प्रभावी भीड़ प्रबंधन के लिए राज्य सरकार द्वारा खरीदे गए 32.5 लाख रुपये के ड्रोन कैमरों का उपयोग नहीं किया गया और वे निष्क्रिय रहे.
एनजीटी ने हाल ही में भूजल की बर्बादी को लेकर केंद्र को फटकार लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार इसके लिए समयबद्ध कार्य योजना बनाए और ऐसे मामलों की निगरानी करे.
पर्यावरण वैज्ञानिक डॉक्टर सीमा जावेद ने कुंभ के दौरान इलाहाबाद की हवा इतनी खराब होने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि एनजीटी के आदेश के बावजूद इलाहाबाद में वायु की गुणवत्ता पर नजर रखने के सरकारी प्रयास नहीं हो रहे हैं.