एल्गार परिषद: सुधा भारद्वाज को हाईकोर्ट से ज़मानत मिली, अन्य आठ की याचिका ख़ारिज

सुधा भारद्वाज को निश्चित अवधि में उनके ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर न करने के आधार पर ज़मानत दी गई है. जिन आठ सह-आरोपियों की अपील ख़ारिज हुई है, उनमें सुधीर धवले, वरवरा राव, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, वर्नोन गोन्साल्विस और अरुण फरेरा शामिल हैं.

कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता गिरफ़्तार, वैश्विक संगठनों ने की रिहाई की मांग

एनआईए ने सोमवार को सूबे के प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को गिरफ़्तार किया है. इससे पहले टेरर फंडिंग से जुड़े एक मामले में इस साल की शुरुआत में श्रीनगर में उनके घर और कार्यालय की तलाशी ली गई थी. वैश्विक मानवाधिकार संगठनों ने इस क़दम की आलोचना करते हुए हिरासत में यातना के जोख़िम को लेकर चिंता जताई है.

जम्मू कश्मीरः आतंकी मामलों की जांच के लिए एनआईए की तर्ज़ पर नई एजेंसी का गठन

जम्मू कश्मीर के गृह विभाग ने एक आदेश में कहा है कि सीआईडी के प्रमुख की अध्यक्षता में स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी नाम से नई एजेंसी आतंकवाद से जुड़े मामलों और अपराधियों को कटघरे में लाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेगी.

स्वास्थ्य आधार पर ज़मानत पर बाहर भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर के कबड्डी खेलने पर उठे सवाल

भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव विस्फोट मामले में स्वास्थ्य के आधार पर ज़मानत पर बाहर हैं और यह दावा करते हुए कई अदालती सुनवाई में पेश नहीं हुई हैं कि वह गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं. ठाकुर वर्तमान में मुंबई की एक अदालत में यूएपीए की कड़ी धाराओं के तहत मुक़दमे का सामना कर रही हैं.

मुंद्रा अडानी बंदरगाह हेरोइन ज़ब्ती मामला: दिग्विजय ने कहा, सुप्रीम कोर्ट जज से करवाएं जांच

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने गुजरात के मुंद्रा अडानी बंदरगाह पर पिछले महीने मादक पदार्थ हेरोइन की दो बड़ी खेप पकड़े जाने के मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा कराने की मांग करते हुए कहा कि एनआईए पर अब देश को भरोसा नहीं है, क्योंकि इस एजेंसी के द्वारा विभिन्न मामलों में भाजपा से संबंधित आरोपियों को बरी करवाने का इतिहास है. 

सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से पूछा, क्या प्रतिबंधित किताब रखने के आधार पर यूएपीए केस चल सकता है

सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए द्वारा दायर उस याचिका पर यह सवाल किया, जिसमें केरल हाईकोर्ट द्वारा क़ानून के छात्र अल्लान शुहैब को ज़मानत देने के फ़ैसले को सही ठहराने वाले आदेश को ख़ारिज करने की मांग की गई है.

एल्गार मामला: पिता के निधन के बाद पारिवारिक कार्यक्रम के लिए रोना विल्सन को अस्थायी ज़मानत मिली

एल्गार परिषद मामले में सबसे पहले गिरफ़्तार हुए रोना विल्सन के पिता का बीते अगस्त में निधन हो गया था. उनके निधन के तीस दिन पूरे होने पर चर्च में आयोजित मास में शामिल होने के लिए एनआईए अदालत ने विल्सन को 13 से 27 सितंबर तक अस्थायी ज़मानत दी है.

एल्गार परिषद मामले के आरोपी देश के ख़िलाफ़ जंग छेड़ना चाहते थे: एनआईए का मसौदा आरोप

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एल्गार परिषद और माओवादियों के बीच संबंधों से जुड़े मामले में एक विशेष अदालत में मसौदा आरोप पेश किया है. मामले में शुरुआती जांच करने वाली पुणे पुलिस ने अपने प्रस्तावित मसौदा आरोपों में कहा था कि हथियार ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या’ की साज़िश से जुड़े थे, जबकि एनआईए ने प्रधानमंत्री का उल्लेख नहीं किया है.

वकीलों की अपील- स्टेन स्वामी के परिजनों को उनके नाम से जुड़ा लांछन मिटाने का हक़

एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार दिवंगत कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के वकीलों ने जमशेदपुर जेसुइट प्रोविंस की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट को पत्र लिखकर कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 21 मृत व्यक्तियों पर भी समान रूप से लागू होता है. जिस तरह अपीलकर्ता को जीवित रहते हुए अपना नाम बेदाग़ करने का अधिकार होता, यही समान हक़ उसके क़रीबियों का भी है.

एल्गार परिषद: एनआईए ने 15 आरोपियों के ख़िलाफ़ मसौदा आरोप-पत्र प्रस्तुत किया

एनआईए ने ‘ड्राफ्ट’ आरोपों में आरोपियों के ख़िलाफ़ 17 आरोप तय किए गए हैं और उन पर यूएपीए और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का अनुरोध किया गया है. बचाव पक्ष के वकीलों ने सोमवार को अदालत से अनुरोध किया कि उनके ख़िलाफ़ आरोप तय करने से पहले आरोपियों द्वारा दाख़िल कई अर्ज़ियों पर सुनवाई की जाए और उनका निपटारा किया जाए.

स्टेन स्वामी: अदालत ने कहा, कितने वर्षों तक लोगों को बिना सुनवाई के जेल में रखा जा सकता है

भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में यूएपीए के तहत पिछले साल आठ अक्टूबर को गिरफ़्तार किए गए 84 वर्षीय आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का निधन ​पांच जुलाई को मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए अस्पताल में हो गया था. मेडिकल आधार पर ज़मानत याचिका ख़ारिज किए जाने के विशेष अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ स्वामी ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसकी अदालत उनके मरणोपरांत सुनवाई कर रही है.

फादर, उन्हें माफ़ कर देना…

फादर स्टेन स्वामी की हिरासत, ख़ारिज होती ज़मानत, बुनियादी ज़रूरतों के लिए अदालत में अर्ज़ियां लगाना और अंत में अपनों से दूर एक अनजान शहर में उनका गुज़र जाना यह एहसास दिलाता है कि उनके ख़िलाफ़ कोई आरोप तय किए बिना और उन पर कोई मुक़दमा चलाए बगैर उन्हें सज़ा-ए-मौत मुक़र्रर कर दी गई.

स्टेन स्वामी की मौत भारत में मानवाधिकार रिकॉर्ड पर हमेशा एक ‘धब्बा’ रहेगी: यूएन विशेषज्ञ

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में यूएपीए के तहत पिछले साल गिरफ़्तार किए गए आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की बीते पांच जुलाई को मुंबई के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत मैरी लॉलर ने कहा कि आरोपी के तौर पर हिरासत में उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया गया.

भारद्वाज के आरोप पर एनआईए: सेशन जज संज्ञान ले सकते हैं, क्योंकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है

बीते छह जुलाई को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता एवं वकील सुधा भारद्वाज ने अपने वकील के ज़रिये बॉम्बे उच्च न्यायालय को बताया था कि 2018 में उनकी गिरफ़्तारी के बाद जिस न्यायाधीश (अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश) ने उन्हें हिरासत में भेज दिया था, उन्होंने एक विशेष न्यायाधीश होने का ‘दिखावा’ किया था और उनके द्वारा जारी किए गए आदेश के कारण उन्हें और अन्य आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा.

स्टेन स्वामी की अमानवीय मौत का ज़िम्मेदार कौन?

वीडियो: भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में पिछले साल आठ अक्टूबर को गिरफ़्तार किए गए 84 वर्षीय आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का निधन ​पांच जुलाई को मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए अस्पताल में हो गया. उनके प्रियजनों ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी मौत के लिए पूरी तरह से लापरवाह जेल, उदासीन अदालतें और दुर्भावनापूर्ण जांच एजेंसियां ज़िम्मेदार हैं.

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