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केंद्र ने हरिद्वार स्थित पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टिट्यूट को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ा एक प्रोजेक्ट दिया है. इससे पहले दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने गंगा के किनारे पुष्प विविधता की ‘वैज्ञानिक खोज’ के लिए इस संस्थान के साथ पतंजलि अनुसंधान संस्थान को 4.32 करोड़ रुपये की एक परियोजना सौंपी थी.
एनजीटी ने पश्चिम बंगाल में मलीय कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया के उच्च स्तर के कारण राज्य में गंगा नदी के पूरे हिस्से को स्नान के लिए अनुपयुक्त पाते हुए अधिकारियों को कड़ी चेतावनी जारी की है. एनजीटी ने पाया कि प्रतिदिन 258.67 मिलियन लीटर अनुपचारित सीवेज सीधे नदी में बह रहा है, जो बड़ा स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है.
गंगा की सफाई पर केंद्र ने 2014 से अब तक 13,000 करोड़ रुपये ख़र्च किए, उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक आवंटन
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय गंगा परिषद को बताया है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 से 31 अक्टूबर 2022 तक केंद्र द्वारा उसे कुल 13,709.72 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिसमें से 4,205.41 करोड़ रुपये उसने उत्तर प्रदेश को दिए. परिषद की बैठक तीन साल बाद हुई है.
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा द्वारा लिखी गई एक किताब में गंगा पर पड़े महामारी के भयावह प्रभाव की व्याख्या की गई है. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि नदी को बचाने के लिए पिछले पांच सालों में जो कार्य किए गए थे, उन्हें नष्ट किया जा रहा है. कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान शव मिलने की ख़बर पर यूपी सरकार की ओर से कहा गया था कि राज्य के कुछ क्षेत्रों में
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के घाटों पर अत्यधिक मात्रा में शैवाल पाए जाने के बाद से एक बार फिर से बहस तेज़ हो गई है कि आखिर हज़ारों करोड़ रुपये ख़र्च करने के बाद भी गंगा स्वच्छ क्यों नहीं हो पा रही है. सवाल उठता है कि क्या भारत सरकार द्वारा गंगा पुर्नरुद्धार के नाम पर बनाई गई परियोजनाएं काग़ज़ी दावे बनकर रह गई हैं.
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए रिवरफ्रंट के सौंदर्यीकरण का बजट घटाकर सिर्फ एक लाख रुपये कर दिया गया है. वहीं राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के बजट में करीब 30 फीसदी की कटौती की गई है.
इस साल मई तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न परियोजनाओं के लिए 28,451 करोड़ रुपये की मंज़ूरी दी गई, लेकिन उनमें से केवल 25 फीसदी राशि ही ख़र्च की जा सकी.
बिहार में एसडीएम से बदसलूकी पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज होने समेत आज की बड़ी ख़बरें. दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.
द वायर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली क्लीन गंगा फंड के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की समय पर बैठक नहीं होने की वजह से गंगा सफाई के लिए परियोजनाओं की स्वीकृति और पैसे ख़र्च नहीं हो पा रहे हैं.
संसद में पेश एक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार कोई योजना न होने के कारण स्वच्छ गंगा कोष में पड़ी करोड़ों रुपये की राशि इस्तेमाल न होने की बात सामने आई है.