उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने वर्ष 2022 की बोर्ड परीक्षा को सकुशल संपन्न कराने के लिए संबंधित अधिकारियों को संगठित रूप से नकल कराने वालों पर रासुका के तहत तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए कहा कि इसके साथ ही अफ़वाह फैलाने वालों पर सख़्त कार्रवाई की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 17 दिसंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत डॉ. कफ़ील ख़ान की हिरासत को रद्द करने और उन्हें तत्काल रिहा किए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था. इस फ़ैसले पर डॉ. कफ़ील ने द वायर से बातचीत की.
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा रासुका के तहत गिरफ़्तार किए गए डॉ. कफ़ील ख़ान की हिरासत रद्द कर उन्हें तत्काल रिहा किए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसे सीजेआई एसए बोबड़े की अगुवाई वाली पीठ द्वारा ख़ारिज कर दिया गया.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पिछले साल दिसंबर में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में 29 जनवरी को डॉ. कफ़ील ख़ान को गिरफ़्तार किया गया था. 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद रिहा करने के बजाय उन पर रासुका लगा दिया गया था.
बीती 29 जनवरी को उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बीते साल दिसंबर में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में डॉ. कफ़ील ख़ान को मुंबई हवाई अड्डे से गिरफ़्तार किया था. तब से वह जेल में हैं.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पिछले साल दिसंबर में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में 29 जनवरी को डॉक्टर कफील खान को गिरफ्तार किया गया था. 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद रिहा करने के बजाय उन पर रासुका लगा दिया गया था.
डॉ. कफील खान को 29 जनवरी को महाराष्ट्र से गिरफ़्तार किया गया था. उन्हें ज़मानत मिल चुकी थी लेकिन शुक्रवार को रिहाई से पहले यूपी पुलिस ने उन पर रासुका लगा दी, जिसके चलते उन्हें रिहा नहीं किया गया.