कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने एक ट्वीट में बताया कि सितंबर 2020 से लेकर अब तक लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर पूछे गए सत्रह सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसे और भी कई सवाल हैं, जिनका जवाब सरकार नहीं दे रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने डेटा प्राइवेसी के मसले पर एक समिति गठित कर दी है, यह सिर्फ फ्री स्पीच बनाम हेट स्पीच का मामला नहीं रहा गया है, बल्कि प्राइवेसी बनाम डीप स्टेट और प्राइवेसी बनाम बिग टेक, जो इस नए युद्ध का नया मोर्चा हो गया है, का मामला बन गया है.
कोई नहीं कह सकता कि नेता के तौर पर मनीष तिवारी या सलमान ख़ुर्शीद की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है या उसे पूरा करने के लिए वे किताब लिखने समेत जो करते हैं, उसे लेकर आलोचना नहीं की जानी चाहिए. लेकिन उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के नेताओं के रूप में उन्हें अपने विचारों को रखने की इतनी भी आज़ादी नहीं है कि वे लेखक के बतौर पार्टी लाइन के ज़रा-सा भी पार जा सकें?
बीते कुछ दिनों से भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना करते हुए नज़र आ रहे हैं. उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था और सीमा सुरक्षा के क्षेत्र में विफल रही है. महंगाई पर स्वामी के एक ट्वीट पर एक उपयोगकर्ता ने कहा था कि यह पूरी तरह से ‘मोदीनॉमिक्स’ है. इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि या ये ‘मोदीकॉमिक्स’ है, क्योंकि वह अर्थशास्त्र नहीं जानते हैं.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने अपनी किताब ‘10 फ्लैश पॉइंट्स: 20 ईयर्स - नेशनल सिक्योरिटी सिचुएशन दैट इम्पैक्टेड इंडिया’ में लिखा है कि कई बार संयम कमज़ोरी की निशानी होती है और भारत को 26/11 हमले के बाद कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी. इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि संप्रग सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रख दिया था.
बीते सप्ताह नरेंद्र मोदी सरकार के दो ज़िम्मेदार नामों- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और डिफेंस स्टाफ प्रमुख जनरल बिपिन रावत- ने व्यापक राष्ट्रहित के नाम पर क़ानून के शासन के उल्लंघन को जायज़ ठहराने के लिए नए सिद्धांतों को गढ़ने की कोशिश की है.
यूएई पर आरोप है कि उसने पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये ब्रिटेन के कई नंबरों को निगरानी के लिए निशाना बनाया था. यूएई के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शेख़ मोहम्मद बिन राशिद अल-मकतूम को एनएसओ समूह का क्लाइंट माना जाता है. शेख़ की बेटी राजकुमारी लतीफ़ा और उनकी पूर्व पत्नी राजकुमारी हया, जो 2019 में देश छोड़कर ब्रिटेन आ गए थे, दोनों के नंबर पेगासस निगरानी सूची में दिखाई देते हैं.
द वायर सहित एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इज़रायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये कई देशों के नेता, पत्रकार, कार्यकर्ताओं आदि के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे सर्विलांस के संभावित निशाने पर थे.
हिंदुत्ववादी कट्टरपंथी संगठनों को लेकर सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा बरती जाने वाली ख़ामोशी का अर्थ है कि वे इसे राष्ट्र या सरकार के लिए किसी प्रकार का ख़तरा नहीं मानते. इस तरह के रवैये से बहुसंख्यकवादी नैरेटिव को ही बढ़ावा मिलता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर अगले हफ्ते अंतरिम आदेश पारित करेगा. मौखिक तौर पर तकनीकी समिति गठित करने के बारे में कोर्ट ने कहा कि वह इसी हफ्ते आदेश देना चाहता था लेकिन जिन लोगों को इसमें लेना था, उनमें से कुछ ने निजी वजहों का हवाला देते हुए इसका हिस्सा बनने से मना कर दिया.
बेल्जियम की सैन्य ख़ुफ़िया एजेंसी का मानना है कि रवांडा सरकार द्वारा ऐसा किए जाने की संभावना है. पत्रकार पीटर वरलिंडेन ने काफी लंबे समय तक मध्य अफ्रीका में रिपोर्टिंग की है. पत्रकार ने कहा कि पेगासस क्या कर सकता है, यह बहुत निराशाजनक है. जो कोई भी आपके फोन में पेगासस भेजता है, वह आपके फोन पर पूरा क़ब्ज़ा कर लेता है. वे अच्छी तरह जानते हैं कि आप कहां हैं.
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि सरकार ने किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसी जानकारी का खुलासा करने से राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा है.
जर्मन मीडिया के ख़ुलासे के अनुसार, साल 2020 के आखिर में जर्मन फेडरल क्रिमिनल पुलिस ऑफिस ने पेगासस स्पायवेयर खरीदा था, जिसका इस्तेमाल इस साल मार्च से आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित चुनिंदा अभियानों में किया गया.
बीते 16 अगस्त को सुनवाई के दौरान केंद्र ने पेगासस जासूसी मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि वह इज़रायल के एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर से जुड़े आरोपों के सभी पहलुओं को देखने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी. अदालत ने कहा था कि हलफ़नामे में सरकार द्वारा स्पायवेयर का इस्तेमाल किए जाने या न होने के आरोपों को संतुष्ट नहीं किया गया है.
अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप के अंतर्मुखी एकपक्षीय रवैये की जगह जो बाइडन का बहुपक्षीयता पर ज़ोर देना दिखाता है कि उनके नेतृत्व में अमेरिका सबको साथ लेकर दुनिया की अगुआई करना चाहता है. मानवाधिकार और क़ानून के शासन को लेकर प्रतिबद्धता के साथ ब्रांड अमेरिका की मरम्मत बाइडन की टीम की मुख्य प्राथमिकताओं में से एक है.