एनएससीएन-आईएम के इसाक-मुइवा गुट ने संघर्ष विराम पर सहमति के 27 साल बाद केंद्र सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर केंद्र ने 2015 के नगा शांति को लेकर हुए फ्रेमवर्क समझौते का सम्मान नहीं किया तो वे फिर से भारत के ख़िलाफ़ हिंसक सशस्त्र प्रतिरोध शुरू करेंगे.
केंद्र सरकार और नगा संगठनों की अगुवाई कर रहे नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) के बीच शांति वार्ता मई से रुकी हुई है. एनएससीएन-आईएम ने कहा है कि वह नगा बहुल क्षेत्रों के एकीकरण और एक अलग झंडे की अपनी मांग पर कायम है और इन पर कोई समझौता नहीं हो सकता.
केंद्र के साथ शांति वार्ता कर रहे नगा समूहों का अगुवा संगठन एनएससीएन-आईएम लंबे समय से अलग झंडे और अलग संविधान की मांग पर क़ायम है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार नगा संविधान को भारतीय संविधान में शामिल करने के लिए तैयार है और उनके सांस्कृतिक ध्वज के इस्तेमाल को भी सहमति दे दी गई है.
केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता कर रहे नगा संगठनों की अगुवाई कर रहे नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) ने दावा किया है कि दशकों से चली आ रही इस समस्या के समाधान में हो रही देरी की वजह आरएसएस द्वारा उनके अलग झंडे और अलग संविधान की मांग पर आपत्ति जताया जाना है.
दशकों पुराने नगा राजनीतिक मुद्दे का समाधान तलाशने के लिए वार्ता बहाल करने वाले नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (एनएससीएन-आईएम) का कहना है कि केंद्र सरकार बिना राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को पूरा किए बढ़ाकर-चढ़ाकर किए गए वादों से नगाओं को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है.