भारत की जीडीपी वृद्धि दर 15 माह के न्यूनतम स्तर 6.7 प्रतिशत पर पहुंची

मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल- जून) के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की दर वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में 7.8 थी, जो 2024-25 की पहली तिमाही में घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई. पिछला न्यूनतम स्तर वित्त वर्ष 2023 की जनवरी-मार्च तिमाही में देखा गया था.

खुदरा महंगाई दर चार महीने और खाद्य महंगाई दर नौ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचीं

उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 9.36 प्रतिशत हो गई, जो मई में 8.69 प्रतिशत और एक साल पहले की समान अवधि में 4.55 प्रतिशत थी. शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में खाद्य महंगाई दर में अधिक वृद्धि देखी गई.

मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के अनौपचारिक उद्यमों में सात वर्षों में 54 लाख नौकरियां कम हुईं: एनएसओ डेटा

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के असंगठित उद्यमों में कार्यरत श्रमिकों की संख्या 2015-16 में लगभग 3.60 करोड़ थी, जो 2022-23 में घटकर 3.06 करोड़ रह गई.

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार बोले, ‘जीडीपी के आंकड़े रहस्यमयी, इन्हें समझना मुश्किल’

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नवीनतम आंकड़े आपस में मेल नहीं खाते हैं. उन्होंने घटते प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर सवाल उठाया कि अगर भारत निवेश के लिए इतना आकर्षक देश बन गया है तो अधिक निवेश क्यों नहीं आ रहा है?

भारतीय जीडीपी में बढ़ती विसंगतियां विकास की झूठी कहानी की ओर इशारा करती हैं: विशेषज्ञ

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक़, वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 फीसदी रही. हालांकि, विशेषज्ञों का दावा है कि भारत के आधिकारिक जीडीपी आंकड़े भ्रामक हैं.

शहरों और गांवों में समान कार्य के लिए महिलाओं की मज़दूरी पुरुषों की तुलना में कम: रिपोर्ट

राष्ट्रीय सांख्यिकी सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा किए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि अधिकांश राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में मज़दूरी में लैंगिक अंतर बढ़ गया है. दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों में पिछले एक दशक में इस अंतर को कम होते देखा गया है.

भारत की आर्थिक वृद्धि दर में सुस्ती, प्रति व्यक्ति आय कोविड पूर्व समय की तुलना में नीचे आई

एनएसओ के अनुसार, जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर साल-दर-साल धीमी होकर 4.1% हो गई. यह एक साल में इसकी सबसे धीमी गति है. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.71 प्रतिशत रहा है जो संशोधित बजट अनुमान से कम है.