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मध्य प्रदेश के श्योपुर ज़िले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में 25 मई को दो और चीता शावकों की मौत हो गई. इसके पहले 23 मई को एक शावक की मौत हो गई थी. प्रोजेक्ट चीता शुरू होने के बाद इस पार्क में अब तक तीन वयस्क और तीन शावक चीतों की जान जा चुकी है.
कूनो नेशनल पार्क में पैदा हुए चार चीता शावकों में से एक की 23 मई को मौत हो गई. मध्य प्रदेश वन विभाग का कहना है कि शावक कमज़ोर था. प्रोजेक्ट चीता शुरू होने के बाद इस नेशनल पार्क में चार चीतों की जान जा चुकी है.
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट के तहत दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की मंगलवार को मौत हो गई. इससे पहले मार्च और अप्रैल में भी एक-एक चीते की मौत हो चुकी है.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर 2020 में शीर्ष अदालत द्वारा कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए अफ्रीकी चीतों की देखरेख के लिए गठित विशेषज्ञ समिति को भंग करने की अपील की है. प्राधिकरण के अनुसार, शेरों को चीतों के क्षेत्र में छोड़ना उचित नहीं है, क्योंकि प्रतिद्वंद्विता के कारण दोनों प्रजातियों के अस्तित्व के लिए यह क़दम हानिकारक होगा.
इन 30 मौतों में से मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 9 बाघों की मौत रिकॉर्ड की गई है. इसके बाद महाराष्ट्र में 7 बाघों की मौत हुई है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि यह संख्या ख़तरे की चेतावनी नहीं है, क्योंकि आमतौर पर जनवरी और मार्च के बीच बाघों की मौत के मामले बढ़ जाते हैं.
उत्तराखंड सरकार द्वारा कार्बेट टाइगर रिज़र्व में प्रस्तावित टाइगर सफारी परियोजना के लिए 163 पेड़ काटे जाने की अनुमति थी, लेकिन भारतीय वन सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट बताती है कि काटे गए पेड़ों की संख्या 6,000 से अधिक है.
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, दुधवा और अमनगढ़ टाइगर रिज़र्व तथा कतरनिया घाट वन्यजीव अभयारण्य का मामला. याचिका में दिहाड़ी मज़दूरों के हवाले से कहा गया है कि पिछले 11 महीनों से उन्हें वेतन का भुगतान न करने के कारण उनके परिवार भुखमरी के कगार पर हैं.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के मुताबिक़, इस साल सबसे ज़्यादा 44 बाघों की मौत मध्य प्रदेश में हुई, इसके बाद महाराष्ट्र में 26 और कर्नाटक में 14 बाघों की मौत हुई. एक अधिकारी ने बताया कि इस साल बाघों की मौत के आंकड़े में हुई वृद्धि की जांच की जा रही है.
बीते तीन अक्टूबर को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट पार्क के दौरे के दौरान कहा था कि इसका नाम बदलकर रामगंगा राष्ट्रीय पार्क किया जाना चाहिए. व्यवसायियों का कहना है कि पर्यटन उद्योग जगत में कॉर्बेट पार्क इतना विश्वविख्यात नाम है कि इसमें किसी भी तरह का बदलाव इस क्षेत्र से जुडे़ लोगों के लिए ‘आर्थिक सुनामी’ ला सकता है.
डिस्कवरी चैनल के शो ‘मैन वर्सेज़ वाइल्ड’ की शूटिंग के लिए साल 2019 में उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाइगर सफारी प्रोजेक्ट की घोषणा की थी. इसके लिए राज्य सरकार ने पर्यावरण मंत्रालय से 163 पेड़ काटने की मंज़ूरी मांगी थी. अब सुप्रीम कोर्ट के एक वकील व कार्यकर्ता गौरव बंसल ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण में दायर एक याचिका में दस हज़ार पेड़ काटे जाने का दावा किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक विशेष रिपोर्ट में बाघों की गिनती की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए बताया गया है कि सरकार द्वारा बताई गई बाघों की संख्या असल बाघों से ज़्यादा है.