कथित नक्सली का एनकाउंटर और न्याय के लिए भटकती आदिवासी महिला का संघर्ष

झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पुलिस द्वारा नक्सली बताकर मारे गए मोतीलाल बास्के की पत्नी पार्वती मुर्मू इंसाफ़ के लिए संघर्ष कर रही हैं.

क्या एक आदिवासी की हत्या का जश्न मना रही है झारखंड पुलिस?

झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पुलिस ने जिस व्यक्ति को नक्सली बताकर मार डाला था, उसे निर्दोष बताते हुए आदिवासी और मज़दूर संगठन प्रदेश में आंदोलन कर रहे हैं.

बड़ी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद आईएसआईएस भारत में पैर नहीं जमा पाया: राजनाथ

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर गृह मंत्री ने अपने मंत्रालय के कामकाज का लेखा-जोखा पेश किया.

नक्सली हिंसा पर जेएनयू से नहीं खनन माफियाओं से सवाल पूछे जाने चाहिए

अवैध खनन माफिया और नक्सलियों के बीच एक साझेदारी है- दोनों ही चाहते हैं कि छतीसगढ़ के जो ज़िले पिछड़े और दूरस्थ हैं, वे वैसे ही बने रहें क्योंकि इनके ऐसे बने रहने में ही इनका फायदा है.

जेएनयू में सुकमा हमले पर जश्न मनाने की फर्ज़ी ख़बर पर वेबसाइटों के ख़िलाफ़ एफआईआर

जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष के मुताबिक, इस फर्ज़ी ख़बर के बाद जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों को हत्या और बलात्कार की धमकियां मिल रही हैं.

माओवादियों की 50 साल की हिंसक राजनीति से क्या हासिल हुआ?

बस्तर में चलने वाले नक्सल राज की खूनी कहानी हर गांव में आपको सुनने को मिलेगी. बंदूक और हिंसा की राजनीति का नतीजा यह हुआ है कि शांतिपूर्ण जीवन के आदी आदिवासियों का जीवन बिखर चुका है.

झीरम घाटी हमले से पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों को पैसे भिजवाए थे: कांग्रेस

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने राज्य में पुलिस और नक्सलियों के बीच सांठगांठ होने का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है.

वीडियो: पत्रकार संतोष यादव से उनके जेल जाने और बस्तर में पत्रकारिता पर बातचीत

संतोष यादव को सितंबर 2015 में बस्तर पुलिस ने नक्सल समर्थक होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. करीब डेढ़ साल बाद उन्हें ज़मानत मिली. संतोष से अजय आशीर्वाद महाप्रशस्त से बातचीत.

बस्तर के आईने में भारतीय लोकतंत्र का चेहरा बेहद डरावना नज़र आता है

क्या बस्तर में भी भारतीय संविधान लागू है? क्या माओवाद से लड़ाई के नाम पर ग्रामीणों के फ़र्ज़ी एनकाउंटर, महिलाओं के बलात्कार, सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले और जेल आदि सब जायज़ हैं, जबकि माओवाद तो ख़त्म होने की जगह बढ़ रहा है?

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को सड़क पर कुचल देना चाहिए: सुकमा एसपी

सुकमा पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्यान एलेसेला ने कहा है कि ईशा खंडेलवाल और शालिनी गेरा जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को वाहन से सड़क पर कुचल देना चाहिए.

नक्सलियों से संबंध के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार को 17 महीने बाद ज़मानत

बस्तर में कार्यरत संतोष को छत्तीसगढ़ पुलिस ने वर्ष 2015 में गिरफ्तार किया था. वह नवभारत, पत्रिका और दैनिक छत्तीसगढ़ जैसे अख़बारों के लिए लिखा करते थे.